Dreams

Monday, February 10, 2014

सुनहरे चेहरे (c) Copyright




पुकार हर कोई सुनता है
मगर यह दुनिया, बहरों को ही पूजती है
साहिल का सुकून हर किसी को पसंद है
मगर यह दुनिया, लहरों को ही पूजती है

आधी रात की चाँदनी की ठंडक हर किसी को पसंद है
मगर यह दुनिया, दोपहरो को ही पूजती है
संध्या की ठंडी पूर्वाई किसे नहीं पसंद
मगर यह दुनिया, सहरों को  ही पूजती है

श्याम रंग तो कान्हा का भी है
मगर यह दुनिया, सुनहरों को ही पूजती है
अपनों का साथ सबके पास है
मगर यह दुनिया गैरों को ही पूजती है

मैं भी मासूम हूँ, प्रेम का प्यासा हूँ
मगर दिखाता कठोर चेहरा ही हूँ
मैने भी कई मुखौटे धारण किए हैं
क्यूँकि यह दुनिया, चेहरों को ही पूजती है