Dreams

Friday, March 21, 2014

दंगा ही दंगा है, दंगा दर दंगा है (c) Copyright



दंगा ही दंगा है..दंगा बस दंगा है
चुनावी सरगर्मी से सराबोर धरा में
चोरों के हाथों में देखो तिरंगा है
बगल में छुरी है, होंटो पे गंगा है
दंगा ही दंगा है, दंगा दर दंगा है

दंगा ही दंगा है, दंगा बस दंगा है
कौन पराया यहाँ, कौन यहाँ संगा है
अंतर क्या है देश कौन चलाएगा
अरबों के खर्चे में देश तो नंगा है
दंगा ही दंगा है, दंगा दर दंगा है

दंगा ही दंगा है, दंगा बस दंगा है
क्षेत्र चाहे गुजरात, अमेठी, चाहे दरभंगा है
जो खड़ा हो रहा कहीं से भी
वो नेता कहाँ, बस मत बटोरता भिखमंगा है
दंगा ही दंगा है , दंगा दर दंगा है

दंगा बस ये नहीं, जनता भी दंगा है
लौ जली नहीं कि झट से पतंगा है
एक बोतल और बिरयानी का खेल बस है
क्यूँकि गुरु रविदास कह गये हैं सबसे
मन चंगा है तो कठौती में गंगा है
दंगा ही दंगा है , दंगा दर दंगा है

Wednesday, March 12, 2014

एक नया आसमाँ चाहिए अब, एक नई उड़ान के लिए © Copyright



घोंसले पिंजरे बनते जा रहे
और अब इन पंखों में वो जान कहाँ
कि ये बादल छूँ आयें

कभी फलक पर इंद्रधनुष सजते थे
अब गिद्ध मंडराते हैं
हवायें ज़हरीली हैं
बादल तेज़ाब बरसाते हैं
एक नया आसमाँ चाहिए अब
नई उड़ान के लिए

जिनके साथ उड़ान भरी थी कभी
वो हमराही भी उड़ चले हैं
नये दाने के लिए
हम उड़ना भी चाहें तो
जाल बिछाए तयार हैं बादल
शिकार के लिए
एक नया आसमाँ चाहिए अब,
एक नई उड़ान के लिए

नीले आकाश, पीले हो चले
पीले पत्ते मौत से नीले हो चले
एक इंद्रधनुष था जो जीवट लाता था
उसके रंग भी अब फीके हो चले
एक नया आसमाँ चाहिए अब
एक नई उड़ान के लिए

क्या मैं फिर से उड़ सॅकुंगा ?
या मेरे पंख झड़ जाएँगे
या मेरे पंखों के फैलाव
उड़ान की ताक़त बटोर पायेंगे?
या आसमाँ की ओर ताकते ताकते
प्राण धीमे से निकल जाएँगे?
या
एक नया आसमाँ चाहिए अब
एक नई उड़ान के लिए ?


हाँ
एक नया आसमान चाहिए अब
एक नई उड़ान के लिए