Dreams

Thursday, March 8, 2012

बहनजी , ज़रा सूंड बचा के! Copyright©















अरे पूंछ दबा के हाथी भागे
माया के अब टूटे धागे
कुर्सी कुर्सी करती माया
साइकिल हो गयी तुझसे आगे
फव्वारे अब जा लगाले
मूरत पे लड्डू चढ़ाले
बॉल नही अब नाक कटा ले
अब हॅपी बड्डे मनाले
बहु-जन में अब बहु कहाँ हैं
बहनजी ही बस अब जवां है
डूबी नय्या तू बचा ले
कांसी की मूरत बनवाई
उसपे माला भी चढ़वाई
दल दल दलित का नारा लगाया
ग्वाले ले गये पर मलाई
गठबंधन अब कैसे होगा
बिना छुरी, बिना हथगोला
सारी सीटें चली गयी हैं
तेरी कुर्सी की अब बारी
कांसी जी तो बंसी बजा के
खर्च हो गये बीन बजा के
मूरत उनकी तूने लगवाई
साथ अपनी भी बनवाई
सपा मार गयी बाज़ी और
अब कैसे होगी भरपाई
अब चुनाव मे आना बहना
हाथी को पहना के गहना
मिनिस्टर होंगे अब अखिल भैया
पापा मुलायम के अब नखरे सहना!

Tuesday, March 6, 2012

चौंसठ घर ! Copyright©


चौंसठ खानों में देखो तो
कैसे बिसात बिछी है
हर एक मोहरे की अपनी किस्मत
कैसी रेखा खिंची है


पैदल सीधा चलता
सीधा ही चल पायेगा
कभी दुश्मन रोकेगा तो
कभी न्योछावर हो जाएगा




बलशाली हाथी भी सीधा ही
चल पाता है पर कितना
जतन कर ले कोई
दुश्मन मार गिराता है
सीधा सीधा चल चल के
कई खाने पार किये
कभी बलि चढ़ाया गया
कभी दुश्मन के
खाने सारे चार किये


मदमस्त ऊँट की चाल यहाँ पे
टेढ़ी टेढ़ी चलती है
तीरंदाज़ सा लगता कभी
कभी काया ढाल जैसी लगती है
टेढ़ा टेढ़ा चल चल ऊँट
कई जंगों में कुर्बान हुआ
परचम लहरा पाया कभी
कभी यूँ ही बेहाल हुआ


घोडा ढाई घर चलता है
और ढाई से मात दे पाता है
फुदक फुदक के घोडा
शत्रु के सर पे चढ़ जाता है
भागे इधर उधर
मचाये उछल कूद
कभी शांति का झंडा पकडे
कभी जेब में होता बारूद


अब वजीर शक्ति शाली
किसी भी ओर बढ़ पाए
किसी को भी रौंद दे
किसी पे भी चढ़ जाए
वजीर-इ-आज़म के अंदाज़
निराले , चाल निराली भई वाह
जिस ओर बढ़ा लो बढ़ जाए
बिना किये किसी की परवाह


यह सारे मोहरे हैं बिसात में
केवल एक कारन वश
विलासी बादशाह को बचा लें
और खा जाएं दुश्मन का सर
पर सोचो ऐसा बादशाह में होगा क्या
जो सब मर मिटने को हैं तैयार
चाहे गिर जाएँ खुद लेकिन
लगायें बादशाह की नय्या पार


मेरी मानो बनो बादशाह
पहनो जीवन में शाही ताज
सिपाही तो गिरने के लिए ही पैदा होते
तुम बदलो अपना आज
शहंशाह के जैसे जीवन जीलो आज
नतमस्तक हो दुनिया
पहनाये तुझे हरदम ताज
इसमें ही सार छुपा है ,
इसीलिए शाही जीवन मैंने पाना है
नहीं तो खेल ख़त्म हो जाए जब
सब मोहरों को एक डब्बे में ही जाना है
सब मोहरों को एक डब्बे में ही जाना है
सब मोहरों को एक डब्बे में ही जाना है!

Monday, March 5, 2012

नया करो रे, नया करो...! Copyr​ight©


कुछ नया तो करो
कल को आज पे मत धरो
कल को आज से मत मढो
अरे कुछ नया तो करो


कुछ नया करने के पैसे नहीं लगते
खर्चा केवल कल्पना का है
उसे खर्चने में भला क्या रोक
उसके प्रयोग से ही बस तुम डरते



नया करो निर्माण, पुराना सब बेकार
बन जाओ आज के तुम रचनाकार
रंगों से भरो नयी कूची
और दे दो एक नए आज को आकार

नया करो रे, नया करो
थोडा खुद पे बोझ धरो
पोथी पढ़ पढ़ कुछ न हो
अब आखर तुम नया गढ़ो


कल रोये थे तो आज हसो
कल बिखरे थे तो आज बसों
रुके थे तो आज चलो
नया करो रे , नया करो


मौलिकता हो लाठी तेरी
गगन में हो टिकी आखें
कल के पीछे न आज लड़ो
नया करो रे नया करो


क्यूँ है सबके नाम अंकित
इतिहास के पन्नो में?
जागीरें किसी के हाथो
किसी का जीवन घुटनो में?
जो विपरीत बहा है वह ही तो
अनुपम है
जिसने रिवाजों को तोडा वह ही तो
प्रथम है
चाहे गिर जाओ , पर चला करो
नया करो रे , नया करो


जो सच्चे मन से इच्छा हो
कुछ नया करने की
ब्रह्मा सामने मिटटी रख देंगे
जो दुस्साहस करने की बात करो तो
कृष्ण सारथी बन लेंगे
बूढी सोच को पहले जवान करो
नया करो रे , नया करो
नया करो रे, नया करो
नया करो रे , नया करो