छुट्टियाँ आने वाली हैं
काम से थोड़ा फ़ुर्सत है
पर मुझे अब मनुश्य बनने से छुट्टी चाहिए
थोड़ा खरगोश बनना है
थोड़ा चीता
या फल बन जाऊं
चाहे सेब
चाहे पपीता
मुझे ऐसी घुट्टी चाहिए
मनुष्य बनने से छुट्टी चाहिए
ना दायित्व के दायरे हों
ना इच्छाओं का जाल
ना सामाजिक अपेक्षाएं
ना मर्यादा का भाल
केवल रंग हो मुझमे
और सुगंध हो
हे प्रभु! ऐसा कुछ प्रबंध हो
भावनाओं और अपेक्षाओं से
ज़ख्मी चित्त पर
ऐसी एक पट्टी चाहिए
मनुष्य बनने से छुट्टी चाहिए
बस धरती हो
नदी हो
बादल हों
आकाश हो
और अवकाश हो
ना कहीं से उदगम होने की इच्छा हो
ना किसी मंज़िल की तलाश हो
बस हवा बहे त्वचा पे शीतल
चारों ओर अपने
ऐसी खस की टट्टी चाहिए
मनुष्य बनने से छुट्टी चाहिए
और आपको?
1 comment:
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "तीन दृश्य “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
Post a Comment