Dreams

Tuesday, November 6, 2012

हम भी केजरीवाल हैं !Copyright©



भारत माता के हैं सपूत हम
हम भी उसके ही लाल हैं
हम भी गाँधी, हम हैं अन्ना
हम भी केजरीवाल हैं
काशमीर की धरा तोपों के गोलो से
हैं गूँज रही
मगर दिल्ली को अब भी बस राजनीति है सूझ रही
करना होगा कुछ हमको अब इन दिल्ली के आदमख़ोरों का
इटली की मायादेवी का, पगड़ी वाले मोरों का
लेनी होगी बागडोर देश की इन सत्ता के ठेकेदारों से
यादव जी से, मोदियो से, और शरद पंवारों से
भारत माता के हैं सपूत हम
हम भी उसके ही लाल हैं
हम भी गाँधी, हम हैं अन्ना
हम भी केजरीवाल हैं

पड़ोसी के आतंकी झांपढ़, प्रण लो अब ना खाएँगे
प्राण दे देंगे मगर दूजा गाल अब ना दिखलाएँगे
दो हाथ मे सरकार हमे, हम तुम्हे कर के बताएँगे
सीमा छोड़ो, इस्लामाबाद मे जाके हम तिरंगा लहराएँगे
सेनाओं के कदमो से अब दिल्ली हिल जाएगी
दिल्ली मे बैठे बाबूओं को हम केसरी स्वाद चखाएँगे
खून चूसते बगुलों को अब पवन हंस बनाएँगे
हथकंडों को इनके हम इनके ही हाथ से जलाएँगे
इनकी काली काया को सरे आम नीलाम करवाएँगे
बदल देंगे अब यह दो दिल्ला का हाल है
भारत माता के हैं सपूत हम
हम भी उसके ही लाल हैं
हम भी गाँधी, हम हैं अन्ना
हम भी केजरीवाल हैं

सजने धजने का समय नही है, समय है कफ़न ओढ़ने का
धारा के संग ना बहने का, धारा को है अब मोड़ने का
जो चुप बैठा हिन्दुस्तानी अब तो फिर गुलाम हो जाएगा
जैसे अँग्रेज़ों से किया था, यह अब खुद ही जकड़ा जाएगा
यह समय नही है सैलाबों से डरने और बिलकने का
ना है आते तूफान को हाथ जोड़ के तकने का
हम ही जवाब हैं हम ही अब सवाल हैं
भारत माता के हैं सपूत हम
हम भी उसके ही लाल हैं
हम भी गाँधी, हम हैं अन्ना
हम भी केजरीवाल हैं

चुप चाप बैठी सेनानियों की टोली को बोलो
वो ही बग्नख , वो ही बाघ की अब छाल हैं
वो ही बरछी, वो ही कटारी, वो ही अब ढाल है
गीता के सार को समझो, युद्द ही वीरता का प्रमाण है
तुम्हारे हाथ में ही धनुष है, तुम्हारे हाथ मे ही बाण है
आपस मे हम जुड़ जायें तो हम सेना बड़ी विशाल हैं
भारत माता के हैं सपूत हम
हम भी उसके ही लाल हैं
हम भी गाँधी, हम हैं अन्ना
हम भी केजरीवाल हैं

Saturday, November 3, 2012

मोहब्बत क्या है?Copyright©



यदि मेरे तुम्हारे जीवन मे होना भर काफ़ी नही तो तुम्हारा प्रेम
व्यर्थ है
यदि मैं ना हूँ और तुम फिर भी प्रसन्न हो तो तुम्हारा प्रेम व्यर्थ है
मेरे बिना यदि तुम जी सकती हो तो प्रेम कहाँ
मेरे बिना तुम मुस्कुरा सकती हो तो फिर प्रेम कहाँ

दीवानगी किसे कहते हैं पूछो हमसे
पागलपन ना हो मोहोब्बत मे तो वो मोहोब्बत बेकार है
ना दीवानगी बिना प्यार हम करते हैं ना हमे ऐसा तथाकथित प्रेम स्वीकार है

प्रेम होता है बादल और सूखी धरती के बीच
बादल बरसने का वादा करता है और धारा इंतेज़ार करती है
बादल बरसता है धरती की खातिर
और धरती उस पानी से ही बस आबाद होती है

प्रेम होता है अंधेरे और उजाले के बीच
रात की बर्फ़ीली ठंडक को सूरज अपनी गर्मी से तृप्त करता है
रात अपनी ठंडक से सूरज का पसीना पोंछती है
ना रात के बिना उजाला उजाला होता है, ना उजाले के बिना रात रात होती है

प्रेम हो ऐसा कि महबूब बिना हर महल खंडहर लगे
क़ि महबूब संग एक बूँद भी सागर लगे
वो हो तो हर फूल महके
ना हो तो दुनिया कारागार लगे

तो ए मोहोब्बत करने वालों
तब तक प्रेम ना मानो जब तक महबूब  
का जीवन तुम्हारे बिना अधूरा
और उसके बिना तुम्हारी ज़िंदगी खाली लगे

यदि तुम उसके बिना जी सकते हो
तुम मोहोब्बत नही कर सकते

लोग कहते रहे कि प्रेम की भाषायें भिन्न होती हैं
हर किसी के जताने का तरीका अलग मगर
मोहोब्बत आज भी मोहोब्बत है
मोहोब्बत आज भी मोहोब्बत है
यह ना बदली है, ना बदलेगी
अंधेरे का ख़ालीपन केवल उजाला मिटाएगा
धरती की प्यास , केवल बदल से ही बुझेगी