भारत माता के हैं सपूत हम
हम भी उसके ही लाल हैं
हम भी गाँधी, हम हैं अन्ना
हम भी केजरीवाल हैं
काशमीर की धरा तोपों के गोलो से
हैं गूँज रही
मगर दिल्ली को अब भी बस राजनीति है सूझ रही
करना होगा कुछ हमको अब इन दिल्ली के आदमख़ोरों का
इटली की मायादेवी का, पगड़ी वाले मोरों का
लेनी होगी बागडोर देश की इन सत्ता के ठेकेदारों से
यादव जी से, मोदियो से, और शरद पंवारों से
भारत माता के हैं सपूत हम
हम भी उसके ही लाल हैं
हम भी गाँधी, हम हैं अन्ना
हम भी केजरीवाल हैं
पड़ोसी के आतंकी झांपढ़, प्रण लो अब ना खाएँगे
प्राण दे देंगे मगर दूजा गाल अब ना दिखलाएँगे
दो हाथ मे सरकार हमे, हम तुम्हे कर के बताएँगे
सीमा छोड़ो, इस्लामाबाद मे जाके हम तिरंगा लहराएँगे
सेनाओं के कदमो से अब दिल्ली हिल जाएगी
दिल्ली मे बैठे बाबूओं को हम केसरी स्वाद चखाएँगे
खून चूसते बगुलों को अब पवन हंस बनाएँगे
हथकंडों को इनके हम इनके ही हाथ से जलाएँगे
इनकी काली काया को सरे आम नीलाम करवाएँगे
बदल देंगे अब यह दो दिल्ला का हाल है
भारत माता के हैं सपूत हम
हम भी उसके ही लाल हैं
हम भी गाँधी, हम हैं अन्ना
हम भी केजरीवाल हैं
सजने धजने का समय नही है, समय है कफ़न ओढ़ने का
धारा के संग ना बहने का, धारा को है अब मोड़ने का
जो चुप बैठा हिन्दुस्तानी अब तो फिर गुलाम हो जाएगा
जैसे अँग्रेज़ों से किया था, यह अब खुद ही जकड़ा जाएगा
यह समय नही है सैलाबों से डरने और बिलकने का
ना है आते तूफान को हाथ जोड़ के तकने का
हम ही जवाब हैं हम ही अब सवाल हैं
भारत माता के हैं सपूत हम
हम भी उसके ही लाल हैं
हम भी गाँधी, हम हैं अन्ना
हम भी केजरीवाल हैं
चुप चाप बैठी सेनानियों की टोली को बोलो
वो ही बग्नख , वो ही बाघ की अब छाल हैं
वो ही बरछी, वो ही कटारी, वो ही अब ढाल है
गीता के सार को समझो, युद्द ही वीरता का प्रमाण है
तुम्हारे हाथ में ही धनुष है, तुम्हारे हाथ मे ही बाण है
आपस मे हम जुड़ जायें तो हम सेना बड़ी विशाल हैं
भारत माता के हैं सपूत हम
हम भी उसके ही लाल हैं
हम भी गाँधी, हम हैं अन्ना
हम भी केजरीवाल हैं
हम भी उसके ही लाल हैं
हम भी गाँधी, हम हैं अन्ना
हम भी केजरीवाल हैं
काशमीर की धरा तोपों के गोलो से
हैं गूँज रही
मगर दिल्ली को अब भी बस राजनीति है सूझ रही
करना होगा कुछ हमको अब इन दिल्ली के आदमख़ोरों का
इटली की मायादेवी का, पगड़ी वाले मोरों का
लेनी होगी बागडोर देश की इन सत्ता के ठेकेदारों से
यादव जी से, मोदियो से, और शरद पंवारों से
भारत माता के हैं सपूत हम
हम भी उसके ही लाल हैं
हम भी गाँधी, हम हैं अन्ना
हम भी केजरीवाल हैं
पड़ोसी के आतंकी झांपढ़, प्रण लो अब ना खाएँगे
प्राण दे देंगे मगर दूजा गाल अब ना दिखलाएँगे
दो हाथ मे सरकार हमे, हम तुम्हे कर के बताएँगे
सीमा छोड़ो, इस्लामाबाद मे जाके हम तिरंगा लहराएँगे
सेनाओं के कदमो से अब दिल्ली हिल जाएगी
दिल्ली मे बैठे बाबूओं को हम केसरी स्वाद चखाएँगे
खून चूसते बगुलों को अब पवन हंस बनाएँगे
हथकंडों को इनके हम इनके ही हाथ से जलाएँगे
इनकी काली काया को सरे आम नीलाम करवाएँगे
बदल देंगे अब यह दो दिल्ला का हाल है
भारत माता के हैं सपूत हम
हम भी उसके ही लाल हैं
हम भी गाँधी, हम हैं अन्ना
हम भी केजरीवाल हैं
सजने धजने का समय नही है, समय है कफ़न ओढ़ने का
धारा के संग ना बहने का, धारा को है अब मोड़ने का
जो चुप बैठा हिन्दुस्तानी अब तो फिर गुलाम हो जाएगा
जैसे अँग्रेज़ों से किया था, यह अब खुद ही जकड़ा जाएगा
यह समय नही है सैलाबों से डरने और बिलकने का
ना है आते तूफान को हाथ जोड़ के तकने का
हम ही जवाब हैं हम ही अब सवाल हैं
भारत माता के हैं सपूत हम
हम भी उसके ही लाल हैं
हम भी गाँधी, हम हैं अन्ना
हम भी केजरीवाल हैं
चुप चाप बैठी सेनानियों की टोली को बोलो
वो ही बग्नख , वो ही बाघ की अब छाल हैं
वो ही बरछी, वो ही कटारी, वो ही अब ढाल है
गीता के सार को समझो, युद्द ही वीरता का प्रमाण है
तुम्हारे हाथ में ही धनुष है, तुम्हारे हाथ मे ही बाण है
आपस मे हम जुड़ जायें तो हम सेना बड़ी विशाल हैं
भारत माता के हैं सपूत हम
हम भी उसके ही लाल हैं
हम भी गाँधी, हम हैं अन्ना
हम भी केजरीवाल हैं
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