Dreams

Saturday, November 3, 2012

मोहब्बत क्या है?Copyright©



यदि मेरे तुम्हारे जीवन मे होना भर काफ़ी नही तो तुम्हारा प्रेम
व्यर्थ है
यदि मैं ना हूँ और तुम फिर भी प्रसन्न हो तो तुम्हारा प्रेम व्यर्थ है
मेरे बिना यदि तुम जी सकती हो तो प्रेम कहाँ
मेरे बिना तुम मुस्कुरा सकती हो तो फिर प्रेम कहाँ

दीवानगी किसे कहते हैं पूछो हमसे
पागलपन ना हो मोहोब्बत मे तो वो मोहोब्बत बेकार है
ना दीवानगी बिना प्यार हम करते हैं ना हमे ऐसा तथाकथित प्रेम स्वीकार है

प्रेम होता है बादल और सूखी धरती के बीच
बादल बरसने का वादा करता है और धारा इंतेज़ार करती है
बादल बरसता है धरती की खातिर
और धरती उस पानी से ही बस आबाद होती है

प्रेम होता है अंधेरे और उजाले के बीच
रात की बर्फ़ीली ठंडक को सूरज अपनी गर्मी से तृप्त करता है
रात अपनी ठंडक से सूरज का पसीना पोंछती है
ना रात के बिना उजाला उजाला होता है, ना उजाले के बिना रात रात होती है

प्रेम हो ऐसा कि महबूब बिना हर महल खंडहर लगे
क़ि महबूब संग एक बूँद भी सागर लगे
वो हो तो हर फूल महके
ना हो तो दुनिया कारागार लगे

तो ए मोहोब्बत करने वालों
तब तक प्रेम ना मानो जब तक महबूब  
का जीवन तुम्हारे बिना अधूरा
और उसके बिना तुम्हारी ज़िंदगी खाली लगे

यदि तुम उसके बिना जी सकते हो
तुम मोहोब्बत नही कर सकते

लोग कहते रहे कि प्रेम की भाषायें भिन्न होती हैं
हर किसी के जताने का तरीका अलग मगर
मोहोब्बत आज भी मोहोब्बत है
मोहोब्बत आज भी मोहोब्बत है
यह ना बदली है, ना बदलेगी
अंधेरे का ख़ालीपन केवल उजाला मिटाएगा
धरती की प्यास , केवल बदल से ही बुझेगी

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