Dreams

Monday, October 29, 2012

रिक्त स्थान Copyright©



रिक्त स्थान

मेरे जीवन की पंक्ति में
जो रिक्त स्थान हैं
उसे मैं भरने निकला था
आश्वमेध का प्रचम लहराया मैने
समय के रुख़ को मैने बदला था
कभी मेरे क्रोध से
सूरज तक भी पिघला था
शिखर चढ़े मैने
चोटी के अभिमान को मैने तोड़ा था
धाराओं के रुख़ को भी मैने हाथों से अपने मोड़ा था
मगर वो रिक्त स्थान जीवन का, अब भी भरा नही था
ना जाने किसके लिए मैने उसे अब तक छोड़ा था


फिर त्याग सभी को मैने मन के अंदर भी झाँका
ईश को पुकार लगाई , आकाश को भी ताका
रिक्त फिर भी था मन, रिक्त थी अब भी जीवन की पंक्तियाँ
लाख जतन किए मैं भर ना पाईं कोई शक्तियाँ
फिर एक दिन स्वप्न मे तेरी पायल की झंकार सुनी
तेरे केशों के साए मे मैने मीरा की पुकार सुनी

इतने करतब किए मैने , ना जाने कितनी पीर सही
रिक्त स्थान को कैसे भरना है, मुझे था ग्यात नही
जब तुम गयी जीवन से तो मुझको मालूम हुआ
तुम जीवन अमृत थी पर मैं औरों मे मशगूल हुआ
आदि से प्रेम नही, प्रेम से आदि है
बाकी सब व्यर्थ बाकी सब 'इत्यादि ' है

आ जाओ मेरे जीवन मे फिर, मैं रिक्त स्थान भरना चाहता हूँ
तुम्हे पूजने के सिवा, बाकी सब को 'अतिरिक्त' करना चाहता हूँ

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