वो तुल जाता इस तरज़ू में
जो तुलने के लिए जीता है
जग के मापदंडों मे जो
जलने के लिए जीता है
तोल मोल के बोलता जो
वो मोल से तोला जाए
जो मन की बोले, खरी बोले
निर्भेक स्वर उसका अतुल्य कहलाए
महापुरुषों से तुलने को जो हो उत्सुक
पलड़ा भारी अपना करने का जो हो इच्छुक
ना महापुरुषों मे गणना होगी उसकी
ना ही भार सह पाएगा
जो अपनी राह स्वयं बनाए
वो ही अतुल्य कहलाएगा
महापुरुष अपने काल मे कुछ
ऐसा ही कर जाते हैं
जिसकी तुलना काल के पलड़े
अनुमान ना लगा पाते हैं
भय हार का ना होता इनको
ना लालसा होती पुरूस्कार की
ना भारी होने का मान इनको
ना ज़रूरत आभार की
दर्शन इनका भिन्न सभी से
होता इनमे रहस्यमयी ज्ञान अमूल्य
तुलने तोलने को यह रहने देते
हरदम रहते यह अतुल्य
समाज की देन है "तुलना"
ईश का नही वरदान
ईश तो चाहे केवल हममे
उस जैसा प्रथिमिंब महान
तो ना तुलना कर तू मानुष से
ना लगा अपने जीवन का मूल्य
राह पकड़ तू अपनी ,और
बना स्वयं को तू अमूल्य
बना स्वयं को तू अमूल्य
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