Dreams

Sunday, January 31, 2010

शह और मात! Copyright ©


कौन है राजा

रंक कौन है

कौन है वादक

मृदंग कौन है?

चौंसठ घर में

कौन खिलाडी, कौन है प्यादा

चतुरंग कौन है?


आलेख बनाते नितदिन हम सब

ज्ञात नहीं यह हो पाता

हर चाल के पीछे

कौन छुपा है

हार और जीत कौन दिलाता?


किसी का भाग्य सीधा चलता

चाल किसी की टेढ़ी पड़ती

हम तो प्यादे , तुम हो हाथी

टेढ़ा ही कोई चल पाता।

भाग्य और समय

दो खिलाड़ी ,

जीवनकी इस बिसात के

कौन जीएगा, कौन मरेगा

इन दोनों के ही हाथ में।


काट के किसी को आगे बढ़ना

नहीं ये मेरे स्वाभाव में

अपना पथ मैं खुद चुनता हूँ

दिशा के भी अभाव में ।


कर्म की तलवार

विश्वास की ढाल हाथ में

ललकार चुका हूँ

दोनों को “ आओ टकराओ साथ में”

शीघ्र आयेंगे

वो दिन और वो रात

जब मैं करूँगा घात

चिला दूंगा मूह पे इनके

"मेरी ओर से यह लो

तुम्हारी शह और मात!"

Saturday, January 30, 2010

और वोह नहीं सुनता ? Copyright ©


प्रतिदिन उठके बोल रहा मैं

इश्वर तू क्यूँ नहीं सुनता

विजय के धागों से

मेरा पथ क्यूँ नहीं बुनता?

कांटे ही कांटे

बिछा दिए क्यूँ

पुष्प की बेला क्यूँ नहीं चुनता

इश्वर तू क्यूँ नहीं सुनता?


चहुँ और दृष्टि दौदिई

और भीतर से ये ध्वनि आई

देख ले किसको क्या मिला है

किसका भाग्य कैसे खुला है

वो जिसके हाथ नहीं हैं

अपनों के जो साथ नहीं है

भूख से जो बिलक रहा है

रोग से जो तड़प रहा है

पितृ - रूपी छत्र नहीं है

मात्र-स्नेह की ताप नहीं है

मौन करके सब है सहता

किसी से कुछ नहीं कहता

और तू यह बोल रहा है

इश्वर तेरी क्यूँ नहीं सुनता?


कृतग्य होके

देख भला है क्या क्या तेरा

कुंठित न हो

धीरज धरले और

बना हर रात ,सवेरा

स्वयं से कह दे

भाग्य से ज्यादा, समय से पहले

कुछ नहीं मिलता

नतमस्तक हो जा, शीश झुका दे

कहदे उसको

बिन मांगे सब कुछ दे देता

तू मेरी हर बात है सुनता

तू मेरी हर बात है सुनता!