Dreams

Wednesday, January 27, 2010

सुर्खियां और खबरें ! Copyright ©


सर्दी की सुबह और छोटा हाज़री

आँगन की हरी घास और बांस की कुर्सियां

चीनी मिटटी के प्याले

और चाय की मीठी चुस्कियां।

फिर कड़वा घूँट

अख़बार उठाया और पढ़ी सुर्खियाँ

सियासती हुक्मरानों की खुले आम धमकियां

मरते सैनिको और ख़ुदकुशी करते

युवाओं की चीखें

उनके परिवारों की भीक मांगती सिसकियाँ

पहले से लेकर आखरी पन्ने

के दरमियाँ

खून के गोते

और नफरत की डुबकियां

सुर्खियाँ!


सुर्ख़ियों को पीचे छोड़

पढने लगे खबर

सियासती दावं पेंच और इलज़ाम

सत्ता के भूखे और कुर्सी के घुलाम

किसने जमाया कहाँ पे मजमा

मोहन,जॉर्ज ,नारायण और नजमा

किसने खाया कितना चारा

हवस का पुजारी बेचारा

इज्ज़त और कुर्सी दोनों खो मारा


इदिरिया भी आजकल

विदेशी गुण गाती है

विचार नहीं

विज्ञापन सुनाती है

संपादक यह भूल गया

इस से इंक़लाब नहीं

बगावत की बू आती है

ओह इश्तेहारों को तो भूल ही गया

नेता, अभिनेता और खिलाडी

कोई बेच रहा लिपस्टिक तो कोई घडी

सबको पैसे कमाने की है जल्दी पड़ी

इसे लगाओ उसे खरीदो, मैं यह पेहेनता हूँ

इस साबुन से व्हो खुश्ब्हू आती है

मेरी नक़ल करो…हु बा हु


चटपटी ख़बरों का कारोबार

चोरी, खून और बलात्कार

को सनसनी खेज़ बनाने का व्योपार

साबुन, तेल और इंसानो का इश्तेहार

उसूलो को भूल,

पैसे की फाँसी पे झूल

यह है हमारा आज का अखबार!

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