Dreams

Monday, March 5, 2012

नया करो रे, नया करो...! Copyr​ight©


कुछ नया तो करो
कल को आज पे मत धरो
कल को आज से मत मढो
अरे कुछ नया तो करो


कुछ नया करने के पैसे नहीं लगते
खर्चा केवल कल्पना का है
उसे खर्चने में भला क्या रोक
उसके प्रयोग से ही बस तुम डरते



नया करो निर्माण, पुराना सब बेकार
बन जाओ आज के तुम रचनाकार
रंगों से भरो नयी कूची
और दे दो एक नए आज को आकार

नया करो रे, नया करो
थोडा खुद पे बोझ धरो
पोथी पढ़ पढ़ कुछ न हो
अब आखर तुम नया गढ़ो


कल रोये थे तो आज हसो
कल बिखरे थे तो आज बसों
रुके थे तो आज चलो
नया करो रे , नया करो


मौलिकता हो लाठी तेरी
गगन में हो टिकी आखें
कल के पीछे न आज लड़ो
नया करो रे नया करो


क्यूँ है सबके नाम अंकित
इतिहास के पन्नो में?
जागीरें किसी के हाथो
किसी का जीवन घुटनो में?
जो विपरीत बहा है वह ही तो
अनुपम है
जिसने रिवाजों को तोडा वह ही तो
प्रथम है
चाहे गिर जाओ , पर चला करो
नया करो रे , नया करो


जो सच्चे मन से इच्छा हो
कुछ नया करने की
ब्रह्मा सामने मिटटी रख देंगे
जो दुस्साहस करने की बात करो तो
कृष्ण सारथी बन लेंगे
बूढी सोच को पहले जवान करो
नया करो रे , नया करो
नया करो रे, नया करो
नया करो रे , नया करो

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