अरे पूंछ दबा के हाथी भागे
माया के अब टूटे धागे
कुर्सी कुर्सी करती माया
साइकिल हो गयी तुझसे आगे
फव्वारे अब जा लगाले
मूरत पे लड्डू चढ़ाले
बॉल नही अब नाक कटा ले
अब हॅपी बड्डे मनाले
बहु-जन में अब बहु कहाँ हैं
बहनजी ही बस अब जवां है
डूबी नय्या तू बचा ले
कांसी की मूरत बनवाई
उसपे माला भी चढ़वाई
दल दल दलित का नारा लगाया
ग्वाले ले गये पर मलाई
गठबंधन अब कैसे होगा
बिना छुरी, बिना हथगोला
सारी सीटें चली गयी हैं
तेरी कुर्सी की अब बारी
कांसी जी तो बंसी बजा के
खर्च हो गये बीन बजा के
मूरत उनकी तूने लगवाई
साथ अपनी भी बनवाई
सपा मार गयी बाज़ी और
अब कैसे होगी भरपाई
अब चुनाव मे आना बहना
हाथी को पहना के गहना
मिनिस्टर होंगे अब अखिल भैया
पापा मुलायम के अब नखरे सहना!
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