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सोलह आने का सच किताबों में बस होता
एक आने का सच हरदम है कहीं खोता
सत्य का पलड़ा भारी होता होगा तराज़ू में
पर एक आना तो दबा ही लेती जनता अपनी बाज़ू में
इस एक आने का ही खेल है प्यारे
इसपे ही इतिहास टिका है
जीतने वाले के पास पंद्रह
हारने वाले को एक आना मिला है
यदि यह आना दिख जाए तो
जाने क्या हो जाएगा
शायद खेमू चिनवाया जाएगा
और अनारकली जीवन भर रोएगी
मदिरा की नदियाँ बहेंगी और
संस्कृति सारी उसमे खोएगी
मैं यह आना ढूंढ ढूंढ
बिना बात परेशान हुआ
यह सच तो अनलिखे पन्नो की
केवल शान हुआ
पर कहीं तो यह एक आने की गठरी दबी होगी
कहीं तो इसका होगा खज़ाना
इन टुकड़ों में इतिहास बदलने
की चमक होगी
अब तो केवल पंद्रह को सच में सोलह करना है
चाहे इतिहास के ठेकेदारों से ही क्यूँ न लड़ना है
इस एक आने का सत्य ही मानवता को पार लगाएगा
नहीं तो मानवता का ऐसे ही गला घोंटा जाएगा
यह सच को पहचानना हम सबका अब धर्म है
एक आने पे ही टिका अब हमारा कर्म है
तो,जाग मानुष, देख पंद्रह के पार
सोलह आने की खोज से कर खुदका उद्धार
आओ मिलके भविष्य के सपने करें साकार
राम राज्य की कल्पना नहीं, धरे अब उसका आकार
इतिहास अब नहीं पायेगा बच
मानव जब निकलेगा दृढ़ता से करने
पंद्रह को सोलह आने सच!
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