बूढ़ों को, जवानो को
नयी पीढ़ी की सुनहरी खदानो को
छोटे छोटे इन पँखो की मासूम उड़ानो को
प्रेरणा चाहिए
शैशव, यौवन, वृधावस्था की
भ्रांति, उबाल और नीरस्ता
उन्माद, शौर्य और विवशता को
संवेदना चाहिए
मूक आत्माओं को,
शिथिल संकल्प को
धराशाही विवेक को
चेतना चाहिए
राष्ट्र को शक्ति चाहिए
धर्म को भक्ति चाहिए
राष्ट्र निर्माण के लिए भी
व्यक्ति चाहिए
यह सब देगा कौन?
प्रेरणा, संवेदना, चेतना,
शक्ति, भक्ति, व्यक्ति?
कवि...
कवि पँखो में उड़ान भरेगा
शैशव में अरमान भरेगा
यौवन में तूफान भरेगा
अनुभवी वृद्ध में पुनः चिंगारी
पुनः उसमे प्राण भरेगा
आधी आत्मा की अभिपूर्ति होगी
अलसाए संकल्प मे स्फूर्ति होगी
उसकी स्याही के छींटो से
विवके उठ खड़ा होगा
राष्ट्र हमारा फिर बड़ा होगा
धर्म के स्तंभ फिर पक्के होंगे
विश्व के सारे गिद्ध
फिर हक्के बक्के होंगे
रक्त बहाए बिना
स्याही इतिहास रच आएगी
जब कवि की कल्पना
नया संसार बनाएगी