Dreams

Tuesday, May 8, 2012

राजधानी Copyright©



इस शहर से नाता जुड़ा है कई कई डॉरो का
यह है घर नेताओं का भी और है घर यह चोरों का
यह है घर खादी के उन उधड़े हुए छोरो का
इटली का बागीचा और पगड़ी वाले मोरों का

खरीद फ़रोख़्त का बाज़ार यह, है जागीर धंधे वालों की
है भारत की नस भी और है तासीर झंडे वालों की
सत्ता का मजमा लगाते रंगीन ठेकेदारों की
कुर्सी की चाहत में गला घोंट फंदे वालों की

यहाँ राष्ट्रा का संसद में सम्मान लूटा जाता है
फरक नही पड़ता किसी को, किसी के बाप का क्या जाता है
अपना काम बने तो हर अपमान यहाँ सहा जाता है
और धोती कुर्ता पहन हर चोर, सम्मान यहाँ पे पाता है

न्यायालय का गढ़ है यह, और क़ानून जैसा ही अँधा है
हर एक जेब में तरकीब यहाँ पे, हर में गोरखधंधा है
शर्म नही है, हया नही है, इस हमाम में सब नंगा है
हर गली मे बारूद बसा है, हर मोहल्ला एक दंगा है

जब शपथ ली थी देश के हुक्मरानों ने
इसे राजधानी की दर्ज़ा दिया था, काई शहीद जानों ने
ना जाने कहाँ वो क़ुर्बानी चली गयी इतिहास की खानो में
अब केवल चीखें ही गूँजती हैं बस कानो में

दिल्ली दिल है भारत का, महफ़िल है शहेंशाहों की
आभूषण है कमर का, बाज़ूबंद है बाहों की
इसे महबूबा रहने दो, ना बनाओ इसे धंधे वालों की
गले लगाओ इसे, और बनाओ इसे दिलवालों की

Tuesday, May 1, 2012

जुर्रत Copyright©




जो दबते रहे उन्हे दबाया गया
जो रोते रहे उन्हे रुलाया गया
हुक्मरानो के चाबुक के डर से दुबके
वो डरते रहे जिन्हे डराया गया

जिसने ना दबने की जुर्रत की, उन्हे भी दबाया गया
जिनका सर अब ना झुकता था, उनका सर कलम करवाया गया
जिनके आँसू अब खून होने लगे,
उनका जीवन उसी खून मे डुबॉया गया

पर जो जुर्रत करते हैं
वो तख्त पलटते हैं
जो जुर्रत करते हैं
वो हवा का रुख़ बदलते हैं
सहनशीलता अलग मार्ग है
पर जो जुर्रत करते हैं वो ही
बुद्ध बनते हैं

कर तूफान के मूह पे दहाड़ने की जुर्रत
कर बवंडर को उधेड़ने की जुर्रत
कर बादशाहों को ललकारने की जुर्रत
कर भाग्या को भयभीत करने की जुर्रत
कर नये रास्ते अपनाने की जुर्रत
कर समय को ढालने की जुर्रत
कर आकाश मे कील ठोकने की जुर्रत
कर हवा के महल बनाने की जुर्रत
कर सागर को चीरने की जुर्रत
कर आग से नहाने की जुर्रत
कर नियम तोड़ने की जुर्रत
नये नियम बनाने की जुर्रत
कर जुर्रत

तेरी जुर्रत किसी और का मार्ग बनेगा इक दिन
तेरी जुर्रत इतिहास रचेगा एक दिन
जुर्रत नही की तो तू भी
गुमनामी से नही बचेगा एक दिन.

तो कर जुर्रत
कर जुर्रत
कर जुर्रत.