Dreams

Wednesday, July 10, 2013

संदेह ! Copyright ©.

प्रश्न पूछने वाले हरदम ठुकराए गये
बेड़ियों मे जकड़ कर, दीवारों मे चीनवाए गये
कभी सत्ताधारियों कभी धर्म के ठेकेदारों ने कुचला
कभी मात्र प्रश्न चिन्ह लगाने पर आहुति बनाए गये
पर जब जब किया संदेह किसी ने हर लिखी बात पर
पुश्तैनी इमारतों, इतिहास के घात पर
तब तब ही नये भविश्य का निर्माण हुआ
पुरानी नीवे तोड़ना ही स्वच्छंदता का प्रमाण हुआ

हर कही बात को मान लिया जिन्होने
उनका ही तथाकथित विकास हुआ
जिसने प्रश्न किया संदेह से
हर सभा से उनका निकास हुआ
जानने से पहले मानना जिनके लिए अभ्यास था
भक्त बन जाना ही उनके लिए विकास था
जो बिना जाने , मानने के आदि ना थे
जीवन जीना भी उनके लिए कठिन प्रयास था

संदेह तू यदि करता है
तू निर्भीक है, नही किसी से डरता है
मापदंड की परिभाषा द्रवल होती है
जो इसे फैला सके, उनकी ही विजय प्रबल होती है
ना मान हर बात , स्वयं सत्य की राह तय कर
हर प्रचारक, गुरु की हर बात ना मान ले रह रह कर
विवेक से कर हर फ़ैसला, मान लेना ना आदत बना
कुछ नया सोचना, करना चाहता है तो
पहले प्रचलित प्रथाओ, मानसिकताओं पर
संदेह कर
संदेह कर
संदेह कर

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