Dreams

Monday, May 18, 2015

इरादे गगनचुंभी....और मंसूबे गोताखोर (C) Copyright



इरादे गगनचुंभी अपने
और मंसूबे गोताखोर
 
चाहे तूफ़ानों के साए हों
चाहे बादल हों घनघोर
चाहे काँटों की शय्या हो
या फिर मौत का बहरा कर देने वाला शोर
अपने इरादे हैं गगनचुंभी
और मंसूबे गोताखोर
 
अलसाए भाग्य की पतंगे हों
चाहे टूटते रिश्तों की हो डोर
या फिर मुश्किलों की धुन्ध से
हो जीवन पूरा सराबोर
चाहे प्रश्न चिह्न सी निगाहें हों
या उत्तर देती बाहें हों हर ओर
सूर्योदय का अखंड प्रकाश
या फिर रात का कालापन हो हर ओर
हम ना रुकने वाले
जितना लगा ले सब ज़ोर
अपने इरादे हैं गगनचुंभी
और मंसूबे गोताखोर
 
मंडराते गिद्धों की छाया हो
या हो सावन के मदमस्त मोर
चाहे मखमल की कंबल हो
या हो पत्थर की शय्या कठोर
स्थिर चित्त का सन्नाटा
या प्रफुल्लित मन की हो हिलोर
लहरों से ना टूटे विश्वास
जबतक पहुँच ना जाए छोर
तेरे
इरादे गगनचुंभी हों तब तक
और मंसूबे गोताखोर
इरादे गगनचुंभी
और मंसूबे गोताखोर


Tuesday, May 5, 2015

ना खो ~(c) Copyright



आदर्शवाद की परछाई में
अपना मौलिक स्वाद ना खो

सामाजिक हल्ले में तू
मन से अपने संवाद ना खो

प्रवीणता की दिशा में चलते
दोषों से अपने वाद-विवाद ना खो

हरियाली बोते बोते प्यारे
प्राण देती खाद ना खो

मृत्यु के भयावह चेहरे को तक्ते तक्ते
पल पल में जीवन का आशीर्वाद ना खो

विजय की प्रचंड ध्वनि में
हार का हल्का हल्का नीनाद ना खो

आदर्शवाद की परछाई में
अपना मौलिक स्वाद ना खो