Dreams

Sunday, June 10, 2012

गद्दारी Copyright©

तेरी चुप्पी को मैं तेरी सफाई मान बैठा
इस दूरी को मैं खुदा की खुदाई मान बैठा
तेरे लिए जो मेरे दिल मे मोहब्बत है
उसे मैं अपना खर्चा, तेरी कमाई मान बैठा

मेरी इश्क़ की मजबूरियों का कितना फायदा उठाया तूने
मैने आँसू बहाए तूने उन से भी गर्रारे कर लिए
मैने तो मोहब्बत का हल्का सा झोंका भेजा था तेरी ओर
तूने अपने मंसूबों के उस से गुब्बारे भर लिए

क्या खरीद फ़रोख़्त का ये सिलसिला तेरे बाज़ार मैं ऐसे ही चलता रहेगा?
मेरा नीलाम दिल क्या यूँ ही तेरे हाथों बिकता रहेगा?
मैने मोहब्बत की है तुझसे, तुझे यह यकीन दिला दूं
यह परवाना तेरे इश्क़ की शम्मा में हरदम जलता रहेगा

मैने काई तरह की नज़्म लिखीं, 
सोच के कि एक दिन यह मशहूर शायरी होगी
मगर जब तेरे इश्क़ की स्याही में कलम डुबोई तो एहसास हुआ
कि अब तेरे इश्क़ के अलावा कुछ और लिखूंगा तो उस इश्क़ से गद्दारी होगी


कि अब तेरे इश्क़ के अलावा कुछ और लिखूंगा तो उस इश्क़ से गद्दारी होगी

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