Dreams

Monday, June 18, 2012

कैंची Copyright©


हवायें कैंची लेके उतरी हैं
तेरे पंख कुतरने
उड़ पाने की चाह से पहले ही
मंसूबे जकड़ने
घबरा ना ए परिंदे
आसमानों को चीरेंगे तेरे पंख
सातों आसमान है तुझे अभी पार करने

हवाओं को गुस्से से बवंडर होने दे
हवाओं को ईर्षा से साज़िश रचने दे
तेरे परों के फैलाव को ना जाकड़ पाएँगी यक़ीन रखना
हवाओं को ज़हरीले फंदे कसने दे

कैंचियाँ तो उड़ान रोकने के लिए ही होती हैं
तू उड़ान पे ध्यान दे
कैंची की धार तीखी है
पर तू आसमान पे ध्यान दे

अपनी निगाह ऊँची रखना हरदम
अपनी उड़ान सच्ची रखना हरदम
यह हवायें कुछ कर ना पाएँगी
तू अपनी नीयत अच्छी रखना हरदम

1 comment:

Anju (Anu) Chaudhary said...

एक अनकहा दर्द जो दिखता नहीं है ..पर दिल को बहुत दुखता है