Dreams

Monday, July 20, 2015

रेत पे अंकित पदचिन्हों की .. ! (c) Copyright

 
 
 
बात नहीं है जूतों की
बात तो है बस कदमों की
रेत पे अंकित पदचिन्हों की
समय के साथ मुक़दमों की
 

कीचड़ में भी
साख जमाएं देखो
कमल कैसे मुस्काये
छीटें उसे भिगाना चाहें
पर वो गीला भी ना हो पाए
पुष्पराज की स्थिरता उसकी शोभा
शबनम की बूँदें केवल अलंकार
ना बदले उसकी काया
ना बदले उसका आकार
बात नहीं है शबनम की
बात तो है बस पदमों की
रेत पे अंकित पदचिन्हों की
समय के साथ मुक़दमों की
 

तूफ़ानों से लड़ती कश्ति
डगमग डगमग थर्राये
माझी संकल्पी हो तो
सागर का सीना भी चिर जाए
सागर अपनी लहरों से
भले उसे डरा जाए
पर जिस नाव का चप्पू
विश्वास भरा हो
लहरे वो हरा जाए
बात नहीं है
तूफ़ानों से मिलते इन सदमों की
केवल रेत पे अंकित पदचिन्हों की
समय के साथ मुक़दमों की

2 comments:

ब्लॉग बुलेटिन said...

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, यारों, दोस्ती बड़ी ही हसीन है - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

Harash Mahajan said...

अति सुंदर !!