Dreams

Friday, April 22, 2016

लगे दिल किसी से भी ना (C) Copyright

 
 
दिल खुला हो सबके लिए
मगर लगे दिल किसी से भी ना
खुदा यह ही बस इक गुज़ारिश
यह बस मेरे दिल की इलतेजा

 
सब छूट जाते हैं
सफ़र में ज़िंदगी के
बस उम्मीद ही है जो
मिटे किसे से ना

 
बंधन बेड़ियाँ बने, इस से पहले
इश्क़ इबादत से बने सज़ा
अश्को के सैलबों से धुल जाए
चाँदनी मे हाथ पकड़ने का मज़ा
मेरे दिल, इस से पहले बना ले तू
शबनम के बूँदों सी अपनी अदा

 
तेरे टूटने की आवाज़
सदियों तक गूँजे
तुझे मज़ारों में
इस से पहले कोई पूजे
तो खुद-ब- खुद
दीवाने, हो जा फ़ना
खुदा यह ही बस इक गुज़ारिश
यह बस मेरे दिल की इलतेजा

 
दिल खुला हो सबके लिए
मगर लगे दिल किसी से भी ना
खुदा यह ही बस इक गुज़ारिश
यही बस मेरे दिल की इलतेजा


No comments: