दिल खुला हो सबके लिए
मगर लगे दिल किसी से भी ना
खुदा यह ही बस इक गुज़ारिश
यह बस मेरे दिल की इलतेजा
सब छूट जाते हैं
सफ़र में ज़िंदगी के
बस उम्मीद ही है जो
मिटे किसे से ना
बंधन बेड़ियाँ बने, इस से पहले
इश्क़ इबादत से बने सज़ा
अश्को के सैलबों से धुल जाए
चाँदनी मे हाथ पकड़ने का मज़ा
मेरे दिल, इस से पहले बना ले तू
शबनम के बूँदों सी अपनी अदा
तेरे टूटने की आवाज़
सदियों तक गूँजे
तुझे मज़ारों में
इस से पहले कोई पूजे
तो खुद-ब- खुद
दीवाने, हो जा फ़ना
खुदा यह ही बस इक गुज़ारिश
यह बस मेरे दिल की इलतेजा
दिल खुला हो सबके लिए
मगर लगे दिल किसी से भी ना
खुदा यह ही बस इक गुज़ारिश
यही बस मेरे दिल की इलतेजा
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