Monday, September 26, 2011
नशा ! Copyright ©
कोई जाए मयखाने में
कोई धुंए में उड़ा दे ज़िंदगी
नशा शराब का चखा किसी ने
किसी ने धुंए से तकदीर लिख दी
किसी को नशा हुआ ताक़त का
किसी ने भक्ती कर ली
सारे नशे चढ़े ऐसे जैसे
चढ़ती है जवानी
और ऐसे उतर गए भी जैसे
ख़त्म होती कहानी
मुझे तो ऐसे नशे की तलाश है
जिस से शरमा जाए जवानी
खाली बोतल ना हो जिसकी
कभी न उतरे जिसकी रवानी
ऐसे नशे में चूर रहके मैं
हरदम गिरा रहूँ..
हरदम साकी, पिलाये मुझे और मैं
उस नशे में मिला रहूँ
वह नशा क्या, जो ढलती शाम सा क्षितिज में मिल जाए
वह नशा क्या, जो साकी के जाते साथ ही घुल जाए
जो चढ़े सुरूर सा, फिर जकड़े सर को फिर उतर जाये
मादकता का पूर्ण रस जो ना पिला पाए
सोचा प्रेम में ऐसा नशा होगा,
वह लहराते बालों से आएगी, कमर की लचक पे
जाम भरके आएगी
और अपनी मदमस्त निगाहों से नशे में चूर कर जायेगी
वह नशा भी , जल्दी उतरा
और उतरते ही सर जकड़ा,
जैसे धीरे धीरे वह चढ़ा था, वह सुरूर कहाँ रुका था
फिर सोचा क़ि क्यूँ न ताक़त का नशा आजमाया जाए
जाम भरे जाएँ और उसे ठुमरी समझ के गाया जाए
जैसे मुकुट धरा गया सर पे, वह नशा भी उतर गया
इतनी कालिख देखि वहां पे कि सारा नशा बिखर गया
पर अब उस नशे की बूँद मेरी जिव्हा पर पड़ी है
ऐसा सुरूर , कि बस जैसे सामने अप्सरा कड़ी है
नशा सौ बोतल का इसमें , और सौ जन्मो का इसका साथ
फीके पद गए तख़्त और फीकी पद गयी हर बिसात
ऐसे सपने मन बुन रहा जैसे, चाँद साकी बनके धरती पे आया हो
और अपनी शीतलता के जाम साथ भर लाया हो
कभी न उतरने वाले इस नशे में मैं चूर हूँ
तुम सबके जाम ख़त्म हो जायेंगे..सुरूर धुल जाएगा
और मेरा साकी हरदम मुझे ऐसे ही बैठा के पिलाएगा
जाम-इ-ज़िंदगी , शाम-इ-ज़िंदगी, मेरा मदिरालय गायेगा
चढ़ाव तुम भी ज़िन्दगी का नशा
हो जाओ चूर मेरे संग
उतरेगा न सुरूर वादा रहा
जीलो मेरे संग!
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1 comment:
जीवन अपने आप में एक नशा है!
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