
वो ऐसे मुस्कुरा उठी मेरी मौत की खबर सुनके
जैसे तड़पते दिल को बुझा देता है पानी
मेरे जनाज़े का मंज़र उसके आने से जगमगा उठा
जैसे पूरी हो गयी हो अधूरी कहानी
मैने तो इश्क़ ही किया था, दिल ही दिया था
उसने जान देने का वादा ले लिया मुझसे, मेरी ही ज़ुबानी
साहिल जैसा सूखा था मन, रेत सा था प्यासा
और वो निकली सागर का सा खारा पानी
वो तूफान सा मेरे सपनो का महल ढहा गयी
और मैने उसे गले लगाया था समझ के मौजों की रवानी
बर्फ अपने मुक़द्दर समान , अपने ही पानी में मिल है जाती
मेरे तो हिस्से ना आया वो भी पानी
अब तो तस्वीर बनके लटका हूँ कहीं किसी पुरानी दीवारों पे
इश्क के समंदर में बह गयी मेरी जवानी
वो ऐसे मुझे निहारे जा रही है अब तो जैसे
मैं हूँ उसकी बुनी हुई कहानी
अंजाम चाहे मेरा , हुआ हो ऐसा , चाहे मौत ने गले लगाया मुझे
वो ऐसे ही मुस्कुराए और गुनगुनाए दास्तान-ए-इश्क़ अनुपम ध्यानी
No comments:
Post a Comment