Dreams

Tuesday, September 20, 2011

हो जाए! Copyright ©


इंद्रधनुष के रंगो सा जीवन मेरा हो जाए
चाहे छोर मिले ना उसका , बस गीला सवेरा हो जाए
क्षण क्षण में जी लूँ मैं और पल पल को करूँ प्रणाम
हृदय मे मेरे बस ईश का बसेरा हो जाए






बिन बरखा ही मेरा मन मयूर नृत्य सा पगला हो जाए
सारी थकान, सारी चिंता, जीवन रस में खो जाए
भोर में मेरी कूची दौड़े नये रंगों की ओर
शाम होते ही मेरा जीवन , फिर कोरा काग़ज़ हो जाए

कल कल बहते पानी सा जीवन अमृत धारा हो जाए
हाथ बढ़ें देने को और नयी पौध मेरे हस्त बो जाए
फसल पकने का हो धैर्य और साहस हो उसे काटने का
दाना दाना खिल उठे, खुशी से मन मेरा रो आए

भौतिक सुख से ऊपर उठके , जीवन मेरा मोह रहित हो जाए
प्रेम निकले रग रग से मेरे, आँसू मन धो जायें
छलकते जाम हो हर ओर, मादकता जीवन में रहे हरदम
सारे पल समेट पाऊँ मैं, हृदय जीवन रस में खो जाए

फैले पंखों से उड़ान भरूं, जीवन अथाह आकाश हो जाए
बूँद बूँद से सागर बनता, वो बूँद प्रशांत हो जाए
हर कण का स्वाद चखूं मैं, हर स्वाद में अमृत हो
मेरे जीवन का हर पल, स्वयं में एक वृतांत हो जाए

हो जाए, हो जाए, बस ऐसा हो जाए!

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