बना लो (c) Copyright
प्रेम के मुरझाए पुष्प
सुगंध वही देते हैं
बस अश्कों मे डुबो लो
और इत्र बना लो
पुरानी कूची से
नये चित्र बना लो
यदि इतने कलात्मक नहीं हो
तो मय से यारी कर लो
और पीड़ा को मित्र बना लो
यदि मय की धारा में
ना बहना हो
तो हृदय को
कठोर करो और
पत्थर सा
चरित्र बना लो
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