पहचान बनाने से पहले
स्वयं को पहचानना अनिवार्य है
औरों के समक्ष प्रस्तुत करने से पहले
स्वयं को ऊंचा उठाने का कार्य है
स्वयं की इस खोज में
अभी तक कुछ सकारात्मक न कर
पाने की असक्षमता के बोझ में
ध्यान गया अपने नाम पे
प्रश्न उठे अनेक मेरे मन में
कौन हूँ मैं और
क्या मेरा नाम मुझे सही मायनो में
दर्शाता है
क्या मेरा अस्तित्व मेरे नाम को
सार्थक बनाता है?
मेरे शब्द ही मेरी पहचान है
मेरी आवाज़ ही मेरा हस्ताक्षर
मेरे नाम से ही प्रारंभ होता
है अक्षर
अनुपम , अद्वितीय , अद्भुत
आराध्य की अनुभूति
अपूर्व आभास
अनुपम है विशवास
उपमा जिसकी न हो सके किसी से
न हो सके ऐसा अनुभव , नाम ऐसा निराकार
अनुपम है उड़ान , अनुपम है ओमकार
दीपक जले हैं कोने कोने
पर अनुपम सूर्या ही भगाए तम
झंडे हर कोई लहराना चाहे
पर अनुपम विश्वास ही लहराए विजय का परचम
अणु अणु में बसता मैं हूँ
अणु अणु में ही बसता राम
अनुभव बहुत होते सबको
पर अनुपम अनुभव एक ही होता
क्यूँकी मैं जुड़ जाऊं जिसके आगे
वो ही एक बस अनोखा होता
अलंकारों में अलंकार
अनुपम
ऊँचाई का मापदंड
अनुपम
गहराई की सीमा
अनुपम….
ईश की अनुभूति…
अनुपम…
सूर्या का प्रकाश..
अनुपम
चाँद की चांदनी
अनुपम…
अद्भुत , असामान्य
अनुपम ॥
इस ज्ञान से ओतः प्रोत
अपने नाम , अपने अस्तित्व का अर्थ
का आलिंगन कर अब बढ़ चला
अब आने वाला कल
अनुपम भविष्य का विमोचक होगा
अनुपम भाग्य का बिगुल होगा
विजय पथ का प्रारंभ होगा
असामान्य, अद्भुत,
अपूर्व, अद्वितीय
अनुपम होगा
अनुपम होगा
अनुपम होगा!!!
1 comment:
wonderful Anupam !! keep it up
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