मेरे शब्द-कोष की तारीफें इतनी
पाई हैं हर मोड़ पे
कभी हसाया, कभी रुलाया
बहुतों को हर छोर पे
पर मेरा स्वप्न-कोष है जो भीतर मेरे
उसके भी भागीदार हो जाओ
खुली आँखों से स्वप्न संजोयो
स्व-कामना के जागीरदार हो जाओ
स्वप्न देखना जिन्हे लगे है नकारात्मक
सकारात्मक ना उन्होने कुछ इस जीवन में किया
तक़्दीरो के हाथों बिक गये हैं और
जीवन ना उन्होने खुल कर जिया
स्वप्न ना संजोयें हो जिन्होने , वो जन्म लेते ही
आगंतुक मृत्यु को देते निमंत्रण
सब्ज़ी सी ज़िंदगी जी जाते
जीवन के तवे पर करते आत्मा-समर्पण
बंद आँखो से सपने देखो
उठके उनको करलो पूरे
मृत्यु शय्या पे हो जब लेटे
रहे ना कोई भी अधूरे
स्वप्न कोष हो इतना अंदर की हर दिन नया सपना देखो
हर दिन उसको पूरा करलो , उस सपने की गरमी सेको
हर दिन जुड़ जाए एक नया स्वप्न तुम्हारे कोष में
ऐसे पियो स्वप्न-अमृत, रहो ना कभी होश में
चाहे कहे तुझे यह जग शेख चिल्ली
तुम अपने पूरे करने के प्रयास में बहना
दूर नही है दिल्ली , का नारा
सबके मूह पे जाके कहना
अपनी जीवन थाल को सोने जड़ी तश्तरी होने दो
वो सोना होने दो जीवन प्रवाह और मोतियों को सपने होने दो
जो तुम्हारे सपने देखने पे चीखते चिल्लाते हैं उन्हे तुम रोने दो
पर उनकी चीखों की गूँज में अपने सपनो के मृदंग की ध्वनि ना खोने दो
बादल बनाओ मन में और तेर आओ
सागर को पूरा पी जाओ
सूर्या को निगलो और ज्वाला मुखी हो जाओ
हर सपना हो ऐसा अद्भुत जिसकी कल्पना भिन्न हो , हो परे
स्वप्न देखने से तुम्हारा चित्त, कभी ना डरे
मैने सपना देखा था, अपने शब्दों से जग जीतने का
लोगों के हृदय को अपनी कल्पना से भेदने का
मेरे विचारो की बरखा से मानवता को भीगने का
कुछ सिखाने , कुछ सीखने है
और वो कुछ कुछ अब सच हो रहा है
आप इसे पढ़ रहे हैं और सपने बुन रहे हैं
मेरे स्वप्न कोष में आप जुड़ रहे हैं
आओ अखंड मानवता का स्वप्न देखें
उसे सबको अवगत करायें और एक दिन उसकी गरमी सेकें
आपका स्वप्न कोष, मेरा स्वप्न कोष
हमारा स्वप्न कोष बढ़ायें
पूरे करें , और इतिहास रच आयें!
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