Dreams

Monday, August 1, 2011

रचना Copyright ©


कौन रचयता तुम्हारा, किसकी दिव्य रचना तुम?
कौन तुम्हारा वादक, किसकी हो वीणा तुम?
मुरझाए पत्तों में जान फूंकति, अमृत धारा तुम
इतने समय बाद मिली हो....अब ना हो जाना कहीं गुम


मैं मुरझाई शाख तर बतर होने को था आतुर
सौंदर्या पीने वाला , रहा था मैं सपने बुन
अपना प्याला रखा समक्ष तुम्हारे , बूँद एक छलका जाओ
मुस्कुराओ, खिलखिलाओ ऐसे चुप चाप ना बैठो तुम



पंख फैलाए मैं हूँ अथाह आकाश में , हो वो इंद्रधनुष तुम
नीलिमा आकाश की और संध्या की लाल गुर्राहट तुम
सागर तट का सूखापन और रेत समान मेरा चित्त
लहरों सा मुझे भिगो दो, पड़ा हूँ मैं विवेक हीन , सुन्न

दिए की बाति बना मैं दिए में बैठा हूँ
तुम धधकती ज्वाला , मैं घनघोर अंधेरा हूँ
जलने को तय्यार मेरी काया इस सौंदर्या अग्नि में
भस्म हो जाऊं तो क्या, मैं वो लौ प्रेमी पतंगा हूँ


अठखेली करती नदियाँ भी तुम्हारे यौवन से जलती हैं
तुम्हारी सुंदरता से तो चाँद को भी चाँदनी खलती है
गुणगान करूँ या ना मैं, यह प्रकाश तुम्हारा सर्वव्यापी है
इस सुंदरता को बनाए रखने को तो गंगा भी उमड़ति है.


तुम्हारा कर्तव्य था अपने नशे में ..हम जैसों को रमाये रखना
हमारा धर्मा था उस प्याले को कंठ से लगाए रखना
अमृत धारा बहने का धैर्या नही है अब मुझमे
प्याला मूह में अब तो और अपने शब्दों को उस लौ में जलाए रखना


जन्म जन्मान्तर का मिलन ईश ने चाहे ना लिखा हो
करने दो इन शब्दों से ही युगों युगों का अमृत पान
डूबने दो इस नीर वर्षा में मुझे आज
फूँक दो इस निर्जीव शाख में भी थोड़ी सी जान


रचयता भी नशे में होगा, तभी ऐसे बनी काया
मानव रूप में सौंदर्य को वो ऐसे गढ़ पाया
हे ईश मुझे वरदान दो कि एक बूँद में ही भीग जाऊं
कहूँगा सबसे मैं वर्षा में था भीग पाया


इस सौंदर्य को उम्र क्या क़ैद करेगी
इसकी लालिमा को क्या कोई चादर ढकेगी
ऐसे रचना तो कई जन्मों में एक बार रचता वो
इसकी निरंतरता तो अनंत काल तक बहेगी



समाने दो इस सौंदर्य की उष्ण गर्मी में मुझे
ज्वालामुखी सा ताप है अब मुझमे धधकता
अंत समय आए मेरा तो बस यह इच्छा मेरी
ईश में मिल जाऊं में इसे तकता तकता !!

1 comment:

Anonymous said...

i am sure she must have read it...n would have cried her heart out.... for not being with you...!!! but its destiny my friend...and right now the best synonym for LIFE that comes to my mind is-"IRONY"!!! but as the Shakespeare said it once- "The show must go on...!!!" and so should you...
-P.S.