Dreams

Wednesday, May 11, 2011

ताजपोशी ! Copyright ©


उन दिक्कतों को न भूलना
उन कड़वाहटों को न भूलना
उस कायरता को न भूलना
उस हार को न भूलना
उस कोमल खाल को न भूलना
तो तुझसे थी खरोंची
यह सारी बातें न भूलना
जब होगी तुम्हारी ताजपोशी



उन घावों को न भरने देना
उन गालियों को न ग़ुम होने देना
न भूलना अकेलापन, न दुश्मनी सेना
न तलवारें , न कटारें
न अपनी " बचा लो" की पुकारें
न भूलना जंगें
न रिश्तों की दरारें
न भूलना गिरते महल
न भूलना घायल घोड़े पे सवारी
जब ताजपोशी होगी तुम्हारी



जब मखमली चादर पे बैठोगे
जब जाम-इ-ज़िन्दगी चखोगे
जब गूँज उठेगा दरबार तुम्हारे आने पे
जब सुनहरी थाल सजेंगी
जब कायनात मुस्कुराएगी तुम्हारे गाने पे
जब हुक्म मानेंगे , पुराने हुक्मरान
जब जग देगा तुम्हारे ख्वाब को अंजाम
जब तख़्त पिघलेंगे, जहाँ से तुम गुजरोगे
न भूलना उन लाशों का मंज़र
न भूलना खून से धरती बंज़र
न भूलना कांटे, न दुश्मन, न प्रहारी
जब ताजपोशी होगी तुम्हारी



धर्माशोक तब बन पाया था
जब चंडअशोक मर पाया था
चंडअशोक तब बन पाया था
जब अशोक कंपकपाया था
जब ऐसे बादशाह शह से न घबराए थे
जब गिरते घुड़सवार , फिर से चल पाए थे
जब तुम गिर गिर के उठ खड़े होगे
जब अनगिनत हारों के बाद तुम विजयी होगे
तब न भूलना हर गिरते लम्हे को
तब मत भूलना रेत के हर एक कतरे को
मत भूलना कितना वह पल था भारी
जब ताजपोशी होगी तुम्हारी
जब ताजपोशी होगी तुम्हारी
जब ताजपोशी होगी तुम्हारी

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