Dreams

Friday, May 13, 2011

सोच ! Copyright ©


मैं अपने सपनो का प्रतिबिंब हूँ

मैं अपनी इक्च्छाओं की तस्वीर

कभी गगन में उड़ता पंछी

कभी चिंतक गभीर

मैं अपनी सोच का जीता पुतला

मैं अपने मंसूबों की जागीर

जब चाहूं राजा हो जाउन

जब चाहे फकीर

मैं लंबी दौड़ का घोड़ा

मैं लौ का पतंगा

मैं इंद्रधनुष सा रंगीन

मैं काले मेघों सा संगीन

कभी दानव रूप करूँ धारण

कभी बन जाउन पियर

कभी पथिक हूँ, कभी राह भी

कभी किनारा , कभी बहता नीर

कभी कड़वाहट का काला घूँट

कभी हूँ मीठी खीर

मैं अपने सपनो का प्रतिबिंब हूँ

मैं अपनी इक्च्छाओं की तस्वीर

कभी जग को रौशन करता सूरज

कभी मैं टिमटिमाता तारा

कभी पूरा जग लुटा दूं

कभी मुट्ठी में मेरे जग सारा

कभी हूँ मैं अमृत धारा

कभी हूँ सागर सा खारा

मैं अपनी सोच का चित्रफलक

कभी हूँ चित्रकार

कभी हूँ भ्राह्मकमल मैं

कभी हूँ गीता सार

मैं हूँ कमान की प्रत्यंचा

कभी हूँ स्वयं तीर

मैं अपने सपनो का प्रतिबिंब हूँ

मैं अपनी इक्च्छाओं की तस्वीर

सोच मात्र में ब्रह्म की शक्ति

सोच से शिव होता शंकर

सोच से ही कल कल बहता पानी

और सोच से ही रह जाता कंकर

फैलाने ने अपनी कल्पनाओं को पंख

उड़ने दे गगन में अपने गीत

बहने दे अपनी इच्छाओं को

तोड़ दे सारी रीत

सोच बनाती तुझको मुझको

सोच बनाये कायर या वीर

बन जा अपने सपनो का प्रतिबिंब तू

बन जा अपनी इच्छाओं की तस्वीर

इच्छाओं की तस्वीर

इच्छाओं की तस्वीर.

No comments: