Dreams

Monday, May 30, 2011

दगड्यू ( गढ़वाली ) !!Copyright ©




मेरे परम मित्र कार्तिक की याद में !!










माँ बोल्दी च की तिन बल
मेरु हाथ पकड़ी जब
हम माँ की गोदी मा छा
मिन बल, मुसकुरै दे जब
हम माँ की गोदी माँ छा
वू सब कख हर्च गि
सब तन किलै बिग्ड्यु
तू कख चल गें ...दगड्यू


याद च ते सने जब हमन काफल छकी छा
अगस्त की बारिश मा बणदी सड़क मा जू नदी छाई
वू मा पैर रखी छा
तू कण मेरी माँ सने माँ बोल्दी छेई
और मैं तेरे बाबा के पैर छुन्दों छौं
कण घबरै कि तिन मेरु हाथ पकड़ी एक बार
कण चोरी छुपी हमन बांग रगड़ी एक बार
कण छू वू प्यार सीना माँ जकड्यू
तू कख चल गें ...दगड्यू


तेरी याद औंदी च , रोंदुं भी छौन
पर तेरी याद मा ते सने खोंदुं भी छौन
जीवन मेरु चल्दु रोलु, जब तक तू मैं सने
अपना नज़दीक नि बोलोंदी
तब तक तेरी साथ की ज्वाला सने जले की रख्लू
तेरी हसी सने खिले की रख्लू
तिन जन बताई छोऊ ,
वन सब सने एक साथ मिलै की रख्लू
मं तेरी डोर, तेरु आभास ..च पक्द्युन
जल्दी मिलला ...मेरे दगड्यू
जल्दी मिलला...मेरे दगड्यू
जल्दी मिलला...मेरे दगड्यू


1 comment:

Anonymous said...

got goosebumps!!!!!! :)