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पर सबके जीवन असत्य के धागे
मूल मंत्र है , सबका ध्येय
पर यह जीवन अर्धसत्य का है विषय
सत्य क्या , क्या है मूल
प्रत्यक्ष क्या है , क्या है चक्षु की धूल
कौन सत्य का धारक, कौन असत्य का स्मारक
यह ज्ञान छुपा अर्धसत्य में
यह जीवन अपना अर्ध सत्य
स्वप्न जैसे आधा लटका ज्ञान में
आधा अज्ञान और अभिमान में
इतना सत्य की उत्सुकता पैदा कर पाए
और इतना असत्य की भ्रम पनप पाए
पूर्ण सत्य की ओर अग्रसर
या पूर्ण असत्य को आलिंगन
या इसी अर्धसत्य की मादकता हो पड़ाव
.......आपका चुनाव!!!!
इस अर्धसत्य की अनुभूति होती सबको
कुछ विचारते , कुछ नकारते
कुछ विचार के बाद सत्य की ओर मार्ग बनाते
कुछ अपना स्तम्भ असत्य को बनाते
अर्ध सत्य को पहचानने की शक्ति
आये विचारोत्तेजना से , शोध से
अर्ध सत्य की खोज करने की चाह से
और ज्ञान प्राप्ति पे चल पढ़ी राह से
अर्ध सत्य ही चरम सत्य और
चरम सत्य की परम
इस अर्ध सत्य को गले लगा के ही
हो जाए मानव, ब्रह्म
बुद्ध ज्ञान प्राप्त हुआ
इसी अर्ध सत्य के ज्ञान से
चुनाव सिद्धार्थ का था
जो किया उसने ध्यान से
साधू संत और परम ज्ञानी
की युगों- युगों से यह ही कहानी
पहचान पाए इस अर्ध सत्य को
और वश में करली इन्द्रियाँ सारी
अर्ध सत्य को पहचानो प्यारे
अर्ध सत्य को बनाओ आधार
पूर्ण सत्य की ओर हो अग्रसर
और रचो इतिहास अपार
रचो इतिहास अपार
रचो इतिहास अपार!
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