Dreams

Monday, October 4, 2010

ज़बरदस्त या ..ज़बरदस्ती Copyright ©


केवल दो प्रकार के मानव

करते हैं निवास इस धरती पे

दो प्रकार के ही होते हैं आचरण

दो प्रकार की ही प्रविर्ती

अच्चम्भे की बात यह है

कि दोनों ही सफल हैं

दोनों का ही है नाम

ख्याति दोनों की ही है

दोनों को ठोकती दुनिया सलाम

माँ के गर्भ से कोई नहीं सीख के आता

ऐसा होना

दुनिया सिखाती है सबको कैसे है जीना

केवल चुनाव आपका है

कैसा होगा आपका आचरण

कैसी होगी प्रविर्ती

ज़बरदस्त …..या …ज़बरदस्ती



प्रथम श्रेणी के लोग

अपनी हिम्मत से, अपनी प्रतिभा से

बढ़ते हैं आगे

अपनी ही गति से चलते हैं

चाहे दुनिया कितनी तेज़ भागे

न होता उनको किसी भी बात का भय

न होती अपने कर्मो से ग्लानि

न होती लाज , न होती शर्म

केवल होती सौम्यता,विनम्रता

न होता अभिमान

ज़बरदस्त ….

हरदम हमेशा सही राह हैं पकड़ते

चाहे कितनी कठिन हो राह

मानवता के मार्ग से नहीं हाँ हटते

कितने भी हो रोड़े राह में

ये न होने देते स्वयं को पस्त

न आने देते एक पल भी अपने

आचरण, अपनी आत्मा में सूर्यास्त

इसीलिए कहलाते

ज़बरदस्त !



ऐसे लोग बहुत हैं जो इच्छा रखते हैं

शिखर पे पहुँचने की

और पहुँच भी जाते हैं जैसे तैसे

ख्याति को गले लगाते

पर मानवता, विनम्रता और सद्भावना

कहीं बीच में भूल जाते

सब होने पर भी , सबसे अभिन्न

बात न रहती इन्हें याद

जीत का सेहरा बिकाऊ नहीं है

न ही है बाजारू आत्मा

पर वहां ऊपर पहुँचने के

नशे में यह सारे गुण त्याग कर आते

अभिमान हो जाता इनका सेहरा

धन हो जाती इनकी पगड़ी

किसी की मदद करना , जैसे पाप जो

और गरीबी जैसे अभिशाप हो

भूल जाते ,कि यह भी वहीँ कीचड से

आये हैं

केवल अपने स्वार्थ के दम पे

वो महेल बनाए हैं

इनके लिए लाज, शर्म, आत्मा परमात्मा

इंसानियत है एकदम सस्ती

मैं इनको भी सलाम करता हूँ

पर……..

ज़बरदस्ती



इस होड़ में

जीत की स्पर्धा में

आप भी जीतना चाहते हैं

आप भी शिखर पे

अपने पराक्रम का ध्वज

लहराना चाहते हैं

इतिहास में अंकित हो जाना चाहते हैं

क्या कीमत देंगे?

आत्मा, मानवता या स्वाभिमान

किसे दाव पे लगायेंगे?

आपके जीवन में

क्या चीज़ है सबसे सस्ती

फैसला आपका....

बनना चाहेंगे……..

ज़बरदस्त…..

या ज़बरदस्ती????

ज़बरदस्त या ज़बरदस्ती…

ज़बरदस्त या ज़बरदस्ती…


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