आगे बढ़ने की बात हरदम
करता रहता नितदिन
आज कदम बढ़ा दिया है
अब केवल मंजिल को आलिंगन
छोड़ पीछे अनगिनत हारें
छोड़ पीछे मरघट
पैर चले हैं एकाग्र
पैर चले हैं सरपट
सोचा बहुत है विचारा भी
कलम डुबोयी लहू में और
बहा है आंसुओं का दरिया भी
अब उस कीचड को छोड़ पीछे
दौड़ पड़ा हूँ
दिखता शिखर, पग स्थिर हैं
और निगाहें टिकी उसपर ही
जो छूट गया ,
जिसने छोड़े मेरा हाथ
मचा रहे हैं “शातिर” होने का शोर
उन्हें पता नहीं
काली घनी रात ढल गयी अब
हो गयी मेरी भोर
जो उम्मीद का झंडा मैं लहरा रहा था
उसको अब बदलना होगा
जीत का परचम हाथ में पकडे
अब पहना मैंने विजय का चोगा
आओ सब आओ पीछे
आओ समारोह मनायेंगे
मन जीत चुका हूँ
तन जीत चुका हूँ
यह गीत गायेंगे
पुलकित मन है हर्षित दिल
और आत्मा उन्नति से
ओतः प्रोत है
निगाहें तीखी
ह्रदय धधकता
प्रेरणा का स्रोत है
आओ जुड़ जाओ
जो जो “जीता” है
जिसने स्वयं से नज़रें मिला ली
जो विजय अमृत पीता है
मैं ध्वज लहराए खड़ा हूँ
उसके साथ जुड़ जाओ
मैं तुम्हारी
प्रतीक्षा कर रहा हूँ
मेरी जीत
तुम्हारी जीत
हम सब की जीत
का झंडा लहराने को
खड़ा हूँ।
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