Dreams

Friday, March 11, 2011

मापदंड ! Copyright ©


किसने बनाया तराजू
मैं उसको ढूंढ रहा
नाप तोल के ठेकेदारों
को समर्पित यह पंक्तिया कर रहा



जब मैं तुम्हारे न्यायलय में
अधनंगा प्रस्तुत हुआ
तब तुम चीर हरण से न हिचकिचाए
तुम्हारे चौसर में हारा तो
मुझे द्रौपदी बनाने से न तुम शर्माए
अनेकों मापदंड हैं तुम्हारे भैया
हर किसी की चाल तुम नापो
कोई सीधा चलाया तुमने
किसी को केवल ढैया
पर यह प्यादा कब बाद बना
तुम्हारी इस बिसात में
कब शह दे गया तुम्हे
एक सटीक चाल से
तुम न भाप पाए



मापदंड बनाने वाले सुन लो मेरी दलील
नाप सको तो नाप के दिखाओ यह प्रशांत असीम
नापो गहराई सागर की और
लगाओ आकाश की ऊँचाई का अनुमान
ढालो सूरज को सांचे में
जकड़ो समय की चाल
जब जुड़ जाएँ यह आंकड़े
तब लगाना मुझे पुकार
तब देखना मेरे अनगिनत चेहरे
तब देखना मेरे भिन्न प्रकार



मापदंड में खरा न उतरा तुम्हारे
अब हुआ मुझे ज्ञान
क्युंकी तराजू तुम्हारा बिगड़ा था
नाप सका न मेरी उड़ान
मेरे पंखों के रंगों की
चमक से हो गयीं तुम्हारी आँखे अंधी
और तुमने रखा मुझको
अपने इस मापदंड का बंदी
मैं तो था स्वतंत्र पंछी
तुम्हारे पिंजरों से परे
इसीलिए तुम्हारे हुक्मरान
थे मुझसे डरे डरे


मैं अब तोड़ चुका हूँ
बेडियान इन मापदंड़ो की
जलती लौ सा स्वतंत्र हूँ मैं
न फ़िक्र मुझे पतंगों की
तो मापदंड बनाने वालो
रखो इसको याद
पिंजरों में न रख पाओगे
मेरे जैसो की उमंगें
मेरे जैसो के
अन्दर की आग
अन्दर की आग
अन्दर की आग!

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