भ्रूण था जो
आज वोह प्रस्फुठित हुआ है
कल आज में परिवर्तित हुआ है
कल की बासी सांस
आज सुगंधों की बेला है
कल का अंधापन
है आज की नयी नज़र
यह है आज की ताज़ा खबर
कल कमजोरी थी
आज काया शक्ति में है डूबी
कल जो कायनात शरमाई थी
वोह आज है आत्मविश्वास की भूमि
सूखा तट कल का
आज तरावट का स्रोत
कल का अँधेरा
आज की उजागर ज्योत
कल का कौतुहल
आज है सबर
यह है आज की ताज़ा खबर
यह हुआ कैसे?
आज नया कैसे?
कल पुराना कैसे?
निरंतर गतिमय जीवन में
नवीन विचार हर दिन लाना
हर दिन एक नयी धुन
हर दिन नया गाना
जीवन मृदंग है , वीणा भी
सुर साम्राग्यीं कोकिला का कंठ भी
जीवन केवल लक्ष्य नहीं , मार्ग भी
जीवन अन्धकार मात्र नहीं...है ज्वलंत भी
हर दिन , हर पल
नयेपन की अनुभूति
चाहे कपास हो या हो सूती
मैं हर दिन नया मैं हूँ
तुम हर पल नए तुम हो
अभ्युध्यान ही मानुष मस्तिष्क
के उत्थान की है एक डगर
यह ही है
हर दिन की ताज़ा खबर
कल की ताज़ा खबर
आज की ताज़ा खबर!
No comments:
Post a Comment