Dreams

Wednesday, April 20, 2011

भ्रम !Copyright ©


जीवन चक्र एक मिथ्या
जीवन एक प्रतिबिम्ब
समय की चादर में फैला
एक निरंतर क्रम
जीवन.... एक भ्रम

दृष्टि का दोष नहीं यह
न ह्रदय का कम्पन
न ही आत्मा की अनुभूति
न ही कोई दर्पण
ना भोग विलास, न श्रम
केवल भ्रम


प्रत्यक्ष जो है वो
प्रत्यक्षता के दायरे से भिन्न है
जो अनुभूति मात्र का स्रोत है
वोह पल छिन्न है
सार्थक न जो , निरर्थक न जो
न शिव , न ब्रह्म
केवल भ्रम


क्षितिज पर फैली मृगत्रिष्णा सा
आकाश में टूटते तारे सा
ईश के एक इशारे सा
विलुप्त होते विचार सा
निराकार सा
न अधिक न कम
केवल भ्रम


सम्बंधो से सीमित
जन्म और मृत्यु के बीच
समय से भयभीत
उमंगो की ऊर्जा का धारक
हर बीते क्षण का स्मारक
न तुम ...न हम
केवल भ्रम
केवल भ्रम
केवल भ्रम

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