Dreams

Monday, June 14, 2010

गूँज !!! Copyright ©


रिश्ते जो कभी खनकते थे
प्रेम की गागर को छलकाते थे
गीत जो हम गुनगुनाते थे
सपने जो हमे सुहाते थे
समय के साथ वो
खुशबू नहीं अब सुंघाते
दर्पण भी अब वो सुन्दर
प्रतिबिमं नहीं दिखाते
बिखरे टुकड़े और टूटी डोर
भी अब चुभने नहीं पाते
सिर्फ अतीत के अन्धकार से
आती बस एक गूँज
ह्रदय को कंकपाती यह गूँज
संतुलन डगमगाती, यह गूँज
पुरानी ख्वाहिशों की यह गूँज
टूटते तारों की यह गूँज
इच्छाओं की हत्या की चीख
सपने भी सच होने की
अब न मांगते भीख
बस एक गूँज !


यह पुकार नहीं है

न है गुहार

सब चुभते टुकड़े

सब गूंजे हैं स्वीकार

अब तो उत्तर भी नहीं मांगते सपने

अब तो ज्ञात भी नहीं

कौन है पराये कौन हैं अपने

पथिक हूँ, चलना मेरा काम

जिसने मांगी दुआ

उसे किया सलाम

सपने देखने में न कोई शर्म

चाहे हो पूरा होना

मिथ्या और भ्रम

मैं सपने हर पल देखूंगा

उनके पूरे होने की चाह में

उम्मीद सकूंगा

पर शर्त नहीं है

कि वो होंगे पूरे

समय चक्र है , कल निर्णय

जो जाता है , वापिस अवश्य आता है

मैं रुकुंगा, गिरूंगा, सम्भ्लूँगा

पर विश्वास की डोर , उम्मीद का सेहरा

न छोडूंगा

तो क्या हुआ यदि अतीत गूंजता है

भविष्य में मेरा वर्तमान गूंजेगा

अश्क जो बहे हैं वो बह चुके

जो सहना था वो हम सह चुके

कोमल ह्रदय, मासूम सोच पे

सख्त परत, कड़ा कवच चढ़ा दिया

हिलने न पाए विश्वास

चाहे जिसने भी दगा दिया

अब होगी गूँज

वर्त्तमान की

गूँज उड़ान की

गूँज !!


बजने दो कानो में तुम

भी गूँज

लेकिन याद न करो

भयावह , उदासीन अतीत

का चेहरा

आज की हवा में

उम्मीदों की पतंग को उडाओ

ताकि भविष्य

सुनहरे वर्त्तमान के गीत गए

आज देखे हुए सपनो को

कल साकार बनाये

आज के परिश्रम का

कल ध्वज लहराए

आज के बादलों की

कल बरसाए बूँद

आज के मधुर संगीत की

कल सुनायी दे गूँज

कल सुनायी दे गूँज

कल सुनायी दे गूँज!!