Journey
कुछ परिंदों के ना घर होते हैं ना घोंसले , बस पर होते हैं और हौसले ~ © अनुपम ध्यानी
Dreams
Tuesday, September 28, 2010
कभी कैलाश परिक्रमा करने की इच्छा
कभी प्रशांत मे डूबने की
कभी मसिनरम सा तर बतर भीगने की
कभी रेगिस्तान सा सूखने की
दिल बड़ा कमीना है
शांत सी दिनचर्या से मानता ही नही
बस उड़ान की बातें करता है
तो कोईनही ....यह उड़ान हे सही.....
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment