जीवन नींबू पानी है
मैं उसका एक बुलबुला
खटास और मीठे में
मैं भी कुछ घुला घुला
काक्जी नींबू बाहर से
कडवा है तो
अन्दर है खटास भी
ऐसी ही है जीवन जीने की
आस भी
अंदर का रस निचुड़े तो
तरावट ही तरावट
बाहर का रस आँखों में
आये तो देता रुला
जीवन है नींबू पानी
मैं उसका एक बुलबुला
जीवन को पूरा निचोड़ना
ज़रूरी है
और उस खटास में
चीनी का घोल घोले बिना
हर गाथा अधूरी है
बीज आयें तो उन्हें भी
न भूले
बिना बीज के
नींबू पानी के लुत्फ़
हैं अधूरे
सोम रस से ताज़ा है
इसमें अमृत घुला
जीवन है नींबू पानी
मैं इसका एक बुलबुला
निचोड़ो जीवन
घोलो चीनी
मिलाओ उसमे ठन्डे
जल की धार
खट्टे मीठे का स्वाद उठाओ
कडवाहट को फेंको पार
घूँट दो घूँट नहीं
जी भर के पी
औरों को भी पिला
जीवन है नींबू पानी
तू उसका एक बुलबुला
ऐसा सात्विक जीवन ही
सफल है
जिसमे घुले हुए
खट्टे मीठे पल हैं
द्रवल है जीवन
धारा बहने दो
कडवाहट को बाहर निकालो
मिठास को रहने दो
बीजों से न घबराओ
शीतलता को रहने दो
थोडा घुलो थोडा घुलाओ
औरों को भी इसका
मेहेत्व समझाओ
कि ऐसे सात्विक जीवन में
कई स्वाद हैं
केवल कडवाहट नहीं
पर रेशे भी कमाल हैं
हर एक बूँद है
अमृत धारा
उलझाने से कुछ नहीं
मिलने वाला
सब स्वादों के
मज़े उडाओ
जीवन है नींबू पानी
तुम बुलबुले बन जाओ
बुलबुले बन जाओ
बुलबुले बन जाओ!
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