Dreams

Thursday, November 4, 2010

भार नहीं ....आभार Copyright ©


लज्जा का भार नहीं

कुछ कर गुजरने के मौके

को आभार

भूत का भार नहीं

प्रत्यक्ष वर्तमान

को आभार

इतिहास का भार नहीं

भविष्य की चमक

को आभार

काली रात का भार नहीं

सुबह के रौशन पल

को आभार

कारागार का भार नहीं

स्वतंत्रता को आभार

भार छोडो

बस…..

आभार



सीने पे भार तो बहुत हैं

पर उम्मीद को आलिंगन

उसको करो आभार प्रकट

अन्दर मुलायम ह्रदय है

निकालो बाहरी सख्त परत

जैसे फ़ेंक देता नए कवच

के लिए सर्प अपनी केंचुली

वैसे जीर्ण लहू को बहन दो

चढाओ….ताज़ा रक्त

जीवन छोटा है

भार बहुत हैं

बस आभार नहीं है

जो जीवन वरदान में मिला है

उसे न दबाएँ उस भार के नीचे

ऐसा सुसज्जित बनाएं उसे

आभार सींचें



समय कम है

बोझ बहुत हैं

कल बहुत हैं

आज एक है

अतीत मिथ्या है

वर्तमान सत्य है

भार हटा दो जीवन से

केवल हो एक आधार

भार नहीं किसी प्रकार का

केवल हो आभार

आभार

आभार


1 comment:

JASDEEP said...

bahut bahut aabhar Dhyani Sir....


and Happy Diwali