Dreams

Friday, November 19, 2010

कल, कल.....Copyright ©


कल कल बहते कल को

कल में ही रहने दो

कल, जो कल आएगा

उसे धाराप्रवाह बहने दो

कल कल बहते कल को

कल में ही रहने दो



कल जो बीत गया

अब कभी न आएगा

आज जो है बीत रहा

कल में विलीन हो जाएगा

परन्तु आने वाला कल

तो हर उम्मीद का सेहरा पहनायेगा

कल कल बहते कल को

कल में रहने दो

कल, जो कल आएगा

उसे धाराप्रवाह बहने दो



कल घनी रात थी

पर कल उगते सूरज को देगा सलामी

कल हार थी

पर कल होगा जीत का शंख्नाध ही

कल काला था तो क्या हुआ

कल श्वेत, उज्जवल निर्मल होगा

कल का दरिद्र

कल पहनेगा समृद्धि का चोगा

कल कल बहते कल को

कल में रहने दो

कल, जो कल आएगा

उसे धाराप्रवाह बहने दो



कल टिका है स्मृति मैं

पर कल का स्तम्भ है विश्वास

कल जो था कोयला

वो कल हीरा जैसा चमकेगा

कल जो मुरझाया पुष्प था

कल वो कमल के जैसा खिलेगा

कल कल बहते कल को

कल में रहने दो

कल, जो कल आएगा

उसे धाराप्रवाह बहने दो



कल को करो प्रणाम

और ‘कल’ को गले लगाओ

‘कल’ की चमक से

कल के तम को दूर भगाओ

कल स्थाई नहीं था

पर कल निरंतर चलेगा

कल अनादी काल से आ रहा है

पर कल अनंत तक बहेगा

सारे पदचिन्हों को मिटा दो प्यारे

क्यूंकी कल नए सपने रंगेगा



कल कल बहते कल को

कल में रहने दो

कल, जो कल आएगा

उसे धाराप्रवाह बहने दो

कल कल बहते कल को

कल में रहने दो......



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