Dreams

Wednesday, November 10, 2010

सलामी Copyright ©

सलामी दी उगते सूरज को

सलामी दी विजयता को

ऐसों को जो इस काबिल न थे

दी सलामी जो जीत में

शामिल भी न थे

सलामी देना व्यवहार बन गया

स्वयं की काबिलियत

पे सवाल बन गया

जो सलामी ले न पाएं

वो देते हैं सलामी

जो स्वयं कर न पाएं

और बने बनाये मार्ग पे जाएँ

वो ना ले पाते सलामी

केवल दे पाते सलामी



वर्तमान के बनो स्तम्भ

और इतिहास रचना

करो प्रारंभ

ऐसा व्यक्तित्व करो धारण

कि दें तुमको वो सलामी

बिना किसी कारण

मौलिकता का धागा पकड़ो

दृष्टि हो केवल लक्ष्य पे

हो चाहे तुम्हारे विरुद्ध वो

या हो तुम्हारे पक्ष में



क्या करो ऐसा जो

दें तुझको वो सलामी

तेरे जज़्बे से हो प्रेरित

तेरी गाथा गाये दुनिया सारी?

स्वयं को पहले दे सलामी

स्वयं को करले प्रणाम

अपने भीतर के स्पंदन

को पहचान

और दे स्वयं को

स्वयं के विश्वास का

प्रमाण

जब होगा तू इसमें सक्षम

और पहचानेगा अपनी शक्ति

अपनी मौलिकता और स्वयं की भक्ति

तेरी नज़र में होगी एक

चमक , एक ऊर्जा

ऐसा हो जाएगा, न हो

कोई दूजा

तब दे स्वयं को सलामी

और हो तैयार

लेने के लिए

इस जग की सलामी

इतिहास की सलामी

वर्तमान की सलामी

भविष्य की सलामी

समय की सलामी

भाग्य की सलामी

विजय की सलामी

शिखर की सलामी

सलामी !

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