Dreams

Tuesday, November 16, 2010

वर्चस्व Copyright ©


न मिल सके

न पा सके

बस छीन सके जिसको

और हो मुट्ठी में तेरे विश्व

ऐसी कर तू अपनी मुट्ठी

हो बस तेरा ही वर्चस्व




केवल एक खड़ा हो

सिंह की भाँती

दहाड़ रहा हो विजय का डंका

ऐसे कि उसके वर्चस्व की गाथा का

न हो किसी के मन में शंका

हो ऐसी रश्मि आँखों में

कि मौन कर दे उनका प्रयास

दंडवत करे यह जग सारा

और हो ऐसा तेरा आत्मविश्वास

कि नत्मस्ता हो सर्वस्व

तेरे जैसा कोई नहीं हो

ऐसा तेरा हो वर्चस्व



वर्चस्व मिलता नहीं विरासत में

न ही बिकता हाट में

ना ही होता मोल भाव इसका

न होता बात से

युद्ध करके ही प्राप्त होता

वर्चस्व मिलता आघात से

बंधन की बेड़ी तोड़ने की

हिम्मत होनी अनिवार्य है

और शक्ती का संतुलन

बनाये रखना भी

एक महत्वपूर्ण कार्य है

वर्चस्व की लड़ाई में

बहता लहू है अपनों का भी

पर उसे संभाले रखना

भी एक कला है जिसमे

पारंगत होना भी ज़रूरी है

वर्चस्व स्थायी न हुआ तो

उसके लिए लडाई अधूरी है



यदि परम शक्ति की करनी है

अनुभूति

जिसे काम क्रोध मोह लोभ की

बेड़ी नहीं छूती

तो तान सीन , उठा नज़र

बढा कदम और परिणाम से

मत घबरा

वर्चस्व तेरा होगा

यदि उसके लिए त्याग का

भाव तेरे मन में है

भ्रिकुटी तेरी तनी है और

निगाह लक्ष्य पे है



वर्चस्व चाहिए तो

सशक्त बना तू स्वयं को

'स्व' को पहले मित्र बना

और ललकार दिखा विश्व को

बंधा रहा तू बेड़ियों में

तो दबा देगा यह विश्व

न रहेगा तेरा अस्तित्व

न होगा तेरा वर्चस्व

न होगा तेरा वर्चस्व


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