Dreams

Sunday, June 12, 2011

दाग!Copyright ©

दाग लगे हैं दीवारों पे
दाग लगे हम सारों पे
दाग लगा है चन्द्रमा पे
सारी नदियाँ, सब धारों पे
पर दाग लगा जो आत्मा पे
वोह कैसे मिट पायेगा
कैसे पोंछें उसको हम तुम
कैसे वोह न दिख पायेगा



धर्म दाग से बचा नहीं है
न बची है राजनीति
दाग रहित तो राम नहीं है
न बेदाग़ है दधीची
दाग लगे हैं सब पे प्यारे
सब छुपाये हैं फिर रहे
और हम यहाँ अपने दागों का
प्रचार हैं कर रहे



कोई नहीं है यहाँ पे जिसका जीवन बेदाग़ हो
असत्य का परचम लहराए वोह जो
नकार दें इस सत्य को
हर दिन शीशे में देखो खुद को तो वोह
दाग दिख जाएगा
दाग लगा जो एक बार वोह गंगा स्नान से
भी नि मिट पायेगा



आत्मा हमारी चित्रफलक और
हम मानव हैं पापी
पुण्य कमाए वोह मानुष जो
इस सत्य को न नकारे कदापि
दाग मिटाए ईश ही केवल
ईश बनाए आत्मा शुद्ध
समर्पण कर दो उसको अपना चित्त
और बना दे वो तुझको बुद्ध
और बना दे वो तुझको बुद्ध
और बना दे वो तुझको बुद्ध

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