Tuesday, June 14, 2011
फरमाइश Copyright ©
कभी ज्वाला बनने के फरमाइश
कभी शिवाला बनने की फरमाइश
कभी भूखों का
निवाला बनने की फरमाइश
और ऐसे रह जाती है मेरी
मोहोब्बत करने की ख्वाहिश
मोहोब्बत की थी मैंने कभी
जब उन्होंने की थी प्यार करने के फरमाइश
उनके सिले होंटों को पढने की की थी कोशिश
जब उनकी ऑंखें पढने की न थी गुंजाइश
वह अपनी अदा से बाज़ न आयीं और चल दी
और मैं बन गया उन गुज़रे लम्हों की नुमाइश
आसन है ज्वाला बनने की फरमाइश
आसन है शिवाला बनने के फरमाइश
मोहोब्बत की ज्वाला से जो बनाया था मैंने शिवाला
उस राख में अभी तक जल रहा हूँ मैं
जलते सपने हैं और बुझी बुझी सी है ख्वाहिश
फरमाइश करों दोस्तों , इस लूटे फ़कीर से
कर देगा बयान जो तुम चाहोगे , एक लकीर से
पर मोहोब्बत की नज़्म न छेड़ने को कहना कभी
उन तारों को धूल लग चुकी है,
कोई मीठा साज़ छिड़ने की न है गुंजाइश
लिखी जायेगी तुमारी फरमाइश
दिल में रह जायेगी मेरी ख्वाहिश
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