Dreams

Sunday, June 26, 2011

आख़री नाव ! Copyright ©


रूह कांप उठी जब आखरी नाव चली गयी
आख़री नाव के साथ सारी उम्मीद भी थी चल बसी
मैं दौड़ा था, घबराया था
छाती फूली थी पर काला बदल मंडराया था
पर वह चली गयी



वह नाव जो लहरों से मुझे न ले जाने का वादा कर चुकी थी
जो मेरी बिलकती काया को देख कर भी न रुकी थी
दूर क्षितिज पे गायब होने से पहले मैं उस से कुछ बोलना चाहता था
पर वह मानो अपने सारे कान बंद कर चुकी थी
मैंने उससे एक सन्देश भेजने का आग्रह किया
और कहा
जब छूएगी तू तट तो कह देना माटी से
मैं भी उसका लेप माथे पे लगाना चाहता था
उसकी सुगंध को अपने रोम रोम में बसाना चाहता था
कह देना मछ्वारों से मैं मत्स्य रूप धर लूँगा
मुझे जाल में फाँस लो
कह देना बरसात से मेरा तन भीगने को उत्सुक था, प्यासा था
कह देना सूरज से कि तू ऐसे नहीं चमकता जहाँ मैं रहता था


नाव तुझसे भी मैं कह दूँ , तूने जो किया वह शायद
तेरे भाग्य में करना लिखा था
पर मेरा भाग्य भी चीख रहा है मुझपे
तुझे एक दिन उसी नाव में जाना था
तो मैं इंतज़ार करूँगा आने की एक बार फिर अपने तट पर
फिर तू मुझको भी ले जाना जहाँ मैं जाने को हूँ इच्छुक
दे जाना मुझको अमृत धरा उम्मीद की, हूँ मैं एक भिक्षुक


आखरी नय्या चली गयी अब दूर क्षितिज के पार
कोई नहीं अब सहारा, को नहीं आधार
सागर इतना अथाह है जो, मुझको निगल जा तू ही
या तो नय्या वापिस कर दे, हो कीमत तेरी जो भी
नाव आख़री हो तो क्या, मैं उम्मीद का दम अब भी भरता हूँ
एक बार फिर से उस उम्मीद की आगे अपना शीश नतमस्तक करता हूँ
यदि नाव न आई मुझे लेने को तो
मैं तैर ही निकलूँगा
और आख़री प्राण की बूँद तक न रुकुंगा
आखरी नाव तब तक न निकले जब तक
सांस बाकी है
आखरी कुछ भी न हो जब तक उम्मीद जागी है
यह इंतज़ार मंजिल नहीं , बस एक पड़ाव है
उम्मीद आखरी न हो नाव के जाने से
क्यूंकि उम्मीद ही आखरी नाव है
उम्मीद ही आख़री नाव है
उम्मीद ही आख़री नाव है!!

1 comment:

Aditi said...

Though it started with highly negatively note but liked towards end... gud anupam u never fail to delight us!