Friday, June 17, 2011
आसमान में छेद, उड़ान आपकी Copyright ©
नीले गगन को देखो ज़रा
अथाह फैली हुई चादर हो जैसे
पंख फैलाओ और नज़र हमेशा हो ऊंची
मदमस्त पतंग उडती है जैसे
जब भी उड़ान भरी , और पेंग बढ़ा दी ऊपर
उम्मीदें मुरझायीं एक न एक बार सबकी
आसमा में छेद था
पर उड़ान थी अपनी
वोह छेद , उस उम्मीद की ज्वाला को अन्धकार में बदल देता
किसी के लिए वोह न उड़ने का होता कारण
जो उड़ता उस छेड़ से बचने की उड़ान भरता
गरुड़ न होके , काक रूप करता धारण
डर, पनपाता वोह छेद
निराशा दर्शाता वोह छेद
उम्मीद भरी उड़ान काम्प्ती
पर फिर....कैसे उड़ो
यह फैसला आपका
उड़ान आपकी
जो डरते ...वोह उड़ नहीं पाएं हैं
स्वतंत्र सपनो को गढ़ नहीं पाएं हैं
हरदम उस छेद से डरे हैं जो
वोह परचम लहरा नहीं पाएं हैं
उड़ान हो तो स्वतंत्र हो
बेख़ौफ़...मदमस्त...उड़ना मूल मंत्र हो
कई छेद हैं जीवन के आसमान में
जो डर गए...उड़ोगे कैसे
हाथ मिटटी से सनोगे नहीं तो..मूरत गढ़ोगे कैसे
पर सबके पास हैं
उड़ान की क्षमता भी
छेद बहुत हैं...
पर कैसे जीना है....यह फैसला आपका
उड़ान आपकी
छेद बहुत हैं..उड़ान आपकी
छेड़ बहुत हैं...उड़ान आपकी
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