Dreams

Wednesday, May 12, 2010

भाग्य को ललकार !!! Copyright ©


सौभाग्य का तिलक होता

या होता दुर्भाग्य का कटोरा

चमकती किस्मत

या दारिद्रय का बिछौना

कोई प्रसिद्ध होता तो भाग्यवान कहलाता

और जो सब कुछ खोता वो “बेचारा” हो जाता

निर्भर होता मानव इस भाग्य पे इतना

कि धर्म की निष्ट और कर्म के त़प को भूल जाता

आज मैं बताता हूँ तुम्हे

भाग्य से कैसे करे बग़ावत

कैसे ललकारें और परिवर्तित करें

अपने जीवन मार्ग की बनावट

कैसे भाग्य को जीवन का स्तम्भ न बनाएँ

और इसको कैसे अपने अनुकूल चलाएं

जिस भाग्य को चमकाने के लिए

उसके आगे लार टपकाता मानव

उसी भाग्य को मुट्ठी

में कैसे दबाएँ

भाग्य को कैसे डराएं

और कैसे उसे अपनी शक्ति का

एहसास कराएं ?


पहले यह बताता हूँ भाग्य क्या है

भाग्य वो है जिसका हमे कभी

ज्ञान न हो पायेगा

एक अदृश्य निराकार जिसको

महसूस कभी नहीं किया जाएगा

अपनी अक्षमता और अज्ञान को

छुपाने की चादर है भाग्य

अपने कुकर्मो और त्रुटियों पे

चमकदार परत चढ़ाना है भाग्य

औरों की योग्यता से द्वेष

को नाम दिया जाता भाग्य

दिशाहीनता का आभास जैसे ही होता

“जहाँ भाग्य ले जाए” का नारा बोलता

हारे हुए की बैसाखी है भाग्य

कुकर्मी की लाठी है भाग्य

जो इतिहास में अपना नाम न दर्ज कर सके

उनकी शरण है भाग्य

ऐसी सोच के क्यूँ रहे दास

अपार शक्ति है अपने पास

और भाग्य की अनगिनत बार टूट चुकी है कमर

इसका गवाह है इतिहास


स्वयं पे करले आँख मूँद के विश्वास

भाग्य पे निर्भर न हो , कर प्रयास

भाग्य जैसे दैत्य की वाणी न सुन पायेगा

यदि हो तुझमे सपने पूरे करनी की आस

मैंने अपना अतीत स्वयं रचा है

अपना वर्त्तमान आज लिख रहा हूँ

प्रबुद्ध होके एक एक मोती पिरो रहा हूँ

और यह मोती की माला मैं भविष्य में

पहनूंगा ज्ञात है मुझे

क्युंकि मैंने अपना रास्ता स्वयं चुना है

अपने शब्दकोष से इसे निकाल दो

केवल विश्वास, परिश्रम और साहस

का प्रमाण दो

जो इतिहास रचते हैं वो बस उसे रचना जानते हैं

अपने कर्मो से उसे सींचना जानते है

तो आज ललकारो इसे पूरे आधिक्य से

और निर्भर न हो इस अनभिज्ञ पे

दे दो मात आज इसके भ्रम को

और आलिंगन करलो अपने अन्दर बैठे ब्रह्मा को

भयभीत न हो आने वाले कल से

आज बस नीव धरो उसके अपने बल से

और इसे दो चुनौती

क्युंकि यह कायरों का शब्द है

और इसे कायरों की बैसाखी होने दो

तुम इतिहास में अपना नाम दर्ज करो

देखो कैसे होते हैं चमत्कार

देते जब उसे तुम ललकार और

जब करते हो तुम भाग्य का तिरस्कार

भाग्य का तिरस्कार

भाग्य का तिरस्कार!

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